टाटा स्टील के झरिया डिवीजन ने पेस्ट फिलिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत की

झारखंड
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जामाडोबा। खनिकों के लिए कोयला खदानों में उन खाली स्थानों या अंतर को भरना एक महत्वपूर्ण चुनौती है जो दुर्गम या पहुंचने में कठिन हैं, जिससे भूमिगत कोलियरियों में और उसके आसपास सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो रही हैं। वर्तमान में इस समस्या के समाधान के लिए कोई कुशल तकनीक उपलब्ध नहीं है।

टाटा स्टील के झरिया डिवीजन ने हाल ही में फ्लाई ऐश, सीमेंट और एडिटिव्स से बने सेल्फ-लेवलिंग फ्लोएबल पेस्ट का उपयोग करके इन खाली जगहों को भरने के लिए 10 एम3/घंटे की क्षमता वाला एक पेस्ट फिलिंग पायलट प्लांट चालू किया है।

प्लांट का उद्घाटन 15 फरवरी, 2024 को डिगवाडीह कोलियरी, झरिया, झारखंड में डीबी सुंदरा रामम (वाईस प्रेसिडेंट, रॉ मटेरियल्स, टाटा स्टील) द्वारा संजय राजोरिया, (जनरल मैनेजर, झरिया डिवीजन) और डॉ. प्रशांत (सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीएसआईआर-सीआईएफएमआर, धनबाद) की उपस्थिति में किया गया। यह भारत में पहली बार है, जहां टाटा स्टील कोयला खदानों की बैकफ़िलिंग के लिए इस तकनीक का उपयोग कर रही है।

मौजूदा सैंड स्लरी बैकफ़िलिंग विधि के विपरीत, जो बोरहोल चोकिंग, पृथक्करण और ढेर लगाने की समस्याओं का कारण बनती है। पेस्ट फिलिंग की तकनीक अपने सेल्फ लेवलिंग और सीमेंटेड फ्लाई ऐश पेस्ट के नियंत्रित प्रसार के माध्यम से उच्च दक्षता प्राप्त करती है। विभिन्न संयोजन और प्रवाह गुणों वाले पेस्ट को डिगवाडीह कोलियरी में रेलवे लाइन के नीचे खाली स्थानों में डाला जाएगा। इस परीक्षण की सफलता मौजूदा साइट पर 1 किमी से अधिक लंबाई की खाली जगहों को भरने के लिए मोबाइल सेटअप के विकास और उत्पादन एवं माइन फायर साइट्स पर संभावित अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करेगी।

यह तकनीक न केवल खदानों को भरने के लिए नदी की रेत का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करती है, बल्कि इसका उद्देश्य रेलवे लाइनों, राजमार्गों और भूमिगत कोलियरियों के ऊपर स्थित स्थायी संरचनाओं के नीचे दुर्गम स्थानों में सुरक्षा बढ़ाना भी है। टाटा स्टील, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सीएसआईआर-सीआईएफएमआर), और आईआईटी-खड़गपुर के बीच सहयोग से विकसित यह तकनीक भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक संभावनाएं दर्शाती  है।

उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित अन्य लोगों में नरेंद्र कुमार गुप्ता, चीफ (जामाडोबा ग्रुप), मयंक शेखर, चीफ (सिजुआ ग्रुप), राजेश चिंतक, चीफ एचआरबीपी (रॉ मैटेरियल्स), डॉ वीरेंद्र सिंह, प्रिंसिपल साइंटिस्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट, टाटा स्टील और डॉ संतोष कुमार बेहरा, सीनियर साइंटिस्ट, सीएसआईआर- सीआईएफ एमआर, धनबाद शामिल थे।

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