- कैंसर डे 4 फरवरी पर विशेष
डॉ. ममता रथ दत्ता
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि अनियंत्रित हो जाती हैं। जब किसी महिला के प्रजनन अंगों में कैंसर होता है, तब इसे स्त्री रोग संबंधी कैंसर कहा जाता है। स्त्री रोग संबंधी कैंसर के पांच मुख्य प्रकार हैं। इनमें सर्वाइकल, ओवेरियन, यूटेराइन, वैजिनल योनि और वल्वर शामिल हैं। स्त्रीरोग संबंधी कैंसर का छठा प्रकार बहुत ही दुर्लभ है, जिसे फैलोपियन ट्यूब कैंसर कहा जाता है।
ओवेरियन कैंसर भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाली सबसे सामान्य घातक बीमारियों में से एक के रूप में उभरा है। पिछले कुछ वर्षों में इससे जुड़े मामलों में वृद्धि देखी गई है। हालांकि सर्वाइकल कैंसर में कमी आ रही है, फिर भी यह स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाले दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है।
सभी स्त्री रोग संबंधी कैंसरों में से, केवल सर्वाइकल कैंसर में स्क्रीनिंग टेस्ट किये जाते हैं जो इस कैंसर का शीघ्र पता लगा सकते हैं, जब उपचार सबसे प्रभावी हो सकता है। चूंकि सर्वाइकल कैंसर के अलावा किसी भी स्त्री रोग संबंधी कैंसर की जांच करने का कोई सरल और विश्वसनीय तरीका नहीं है। इसलिए चेतावनी के संकेतों को पहचानना और यह जानना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि क्या ऐसी चीजें हैं जो आप अपने जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं। स्त्री रोग संबंधी कैंसर के लिए पारिवारिक इतिहास, मोटापा, उम्र और एचपीवी महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं।
स्त्री रोग संबंधी कैंसर के लक्षण कैंसर के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होते हैं। स्त्री रोग संबंधी कैंसर के लक्षणों के व्यापक स्पेक्ट्रम में पेल्विक में दर्द, योनि से असामान्य रक्तस्राव, संभोग के दौरान या बाद में योनि से रक्तस्राव, लगातार पेट में सूजन, अनपेक्षित वजन बढ़ना या घटना, मल की प्रकृति में लगातार परिवर्तन, जैसे दस्त या कब्ज शामिल हो सकते हैं। ये स्त्री रोग संबंधी कैंसर के सामान्य लक्षण हैं, लेकिन ऐसे और भी लक्षण हैं जो विशेष रूप से प्रत्येक प्रकार से संबंधित हैं।
स्त्री रोग संबंधी कैंसर का निदान कैसे किया जाता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार के कैंसर का संदेह है। पेल्विक टेस्ट, कोल्पोस्कोपी टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट, बायोप्सी, और संभवतः डॉयग्नोस्टिक सर्जरी भी स्त्री रोग संबंधी कैंसर के निदान के सभी तरीके हैं।
कैंसर की पुष्टि हो जाने के बाद, कैंसर का चरण निर्धारित किया जाता है और एक उपचार योजना विकसित की जाती है। स्टेजिंग से तात्पर्य है कि कैंसर आस-पास के ऊतकों या अंगों तक कितनी दूर तक फैल गया है। स्त्री रोग संबंधी कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार, अवस्था और अन्य सामान्य स्वास्थ्य कारकों पर निर्भर करता है। उपचार के सामान्य तरीकों में कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी शामिल हैं।
सर्वाइकल कैंसर के मामलों और मृत्यु दर के वैश्विक मामलों में अकेले भारत का योगदान क्रमशः 25.41% और 26.48% है। विडंबना यह है कि अधिकांश अन्य कैंसरों के विपरीत, सर्वाइकल कैंसर को उसके लंबे प्राकृतिक इतिहास के दौरान किसी भी समय कैंसर से पहले होनेवाले घावों की पहचान और उपचार करके स्क्रीनिंग के माध्यम से रोका जा सकता है। इस प्रकार सर्वाइकल कार्सिनोमा की संभावित प्रगति को रोका जा सकता है। युवा लड़कियों के लिए ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन की अनुशंसा की जाती है। यह सर्वाइकल कैंसर, योनि कैंसर और वल्वर कैंसर के खतरे को कम करने में बहुत प्रभावी है।
एचपीवी एक आम यौन संचारित वायरस है जो कुछ मामलों में, जब पता नहीं चलता या इलाज नहीं किया जाता है, तो सर्वाइकल कैंसर में बदल सकता है। सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए नियमित पैप स्मीयर करवाना एक अत्यधिक प्रभावी तरीका है। पैप स्मीयर एक सरल परीक्षण है जो कैंसर बनने से बहुत पहले सर्वाइकल में असामान्य परिवर्तनों का पता लगा सकता है। पैप स्मीयर की प्रभावशीलता तभी है जब इसे 21 वर्ष की आयु से शुरू करके हर तीन साल में नियमित रूप से करवाया जाये। उपचार में रोग की अवस्था के आधार पर सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी शामिल हैं।
ओवेरियन कैंसर के लक्षण गैर-विशिष्ट होते हैं और इन्हें आंत्र लक्षण या रजोनिवृत्ति के लक्षण समझा जा सकता है। बाद के चरणों में भूख न लगना और वजन कम होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। ओवेरियन कैंसर का निदान अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे रेडियोलॉजिकल परीक्षणों पर आधारित है। उपचार में ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी और कीमोथेरेपी के साथ संकेत के अनुसार क्लीयरेंस सर्जरी शामिल है।
एंडोमेट्रियल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय की परत जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है, में शुरू होता है। इसका पता आमतौर पर योनि से रक्तस्राव के कारण शुरुआती चरण में ही चल जाता है। एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में शरीर में हार्मोन के संतुलन में बदलाव, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कभी गर्भधारण न करना, स्तन कैंसर के लिए हार्मोन थेरेपी शामिल हैं। निदान के लिए बायोप्सी नामक एक छोटी शल्य प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। उपचार में कैंसर क्लीयरेंस सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडिएशन शामिल है।
यदि शीघ्र पता चल जाए तो स्त्री रोग संबंधी कैंसर का इलाज और बचाव किया जा सकता है।

(चीफ कंसलटेंट एंड एचओडी, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग व चीफ ऑफ़ मेडिकल सपोर्ट सर्विसेज, टाटा मेन हॉस्पीटल, जमशेदपुर, झारखंड)
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