नई दिल्ली। झारखंड सहित देश के राज्यों में कोयला का खनन होता है। यहां कोल इंडिया की सहायक कंपनी सहित कई एजेंसियां कोयले का खनन करती है। इन राज्यों में अवैध रूप से कोयले का खनन भी होता है। इसे रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। यह जानकारी केंद्रीय कोयला मंत्री ने लोकसभा में दी है।
ये कदम उठाए गए हैं
सरकार ने अनधिकृत कोयला खनन गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए एक मोबाइल एप “खनन प्रहरी” और एक वेब एप कोयला खदान निगरानी और प्रबंधन प्रणाली (सीएमएसएमएस) लॉन्च किया है, ताकि कानून और व्यवस्था प्राधिकरण द्वारा इस पर निगरानी और उचित कार्रवाई की जा सके।
इन क्षेत्रों में पहुंच और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए छोड़ी गई अंडरग्राउंड खदानों के मुहाने पर कंक्रीट की दीवारें बनाई गई हैं।
सुरक्षा कर्मियों और संबंधित राज्य सरकार के कानून एवं व्यवस्था प्राधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से औचक छापेमारी/जांच की जा रही है।
ओवरबर्डन की डंपिंग आउटक्रॉप जोन में की जा रही है।
संवेदनशील स्थानों पर जांच चौकियां बनाई गई हैं।
सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मौजूदा सुरक्षा/सीआईएसएफ कर्मियों का प्रशिक्षण, रीफ्रेशर ट्रेनिंग और सिक्युरिटी डिस्पलिन में नए रंगरूटों का बुनियादी प्रशिक्षण।
राज्य प्राधिकारियों के साथ निकट संपर्क। विभिन्न स्तरों पर समिति/टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
कोयला उत्पादन के दौरान विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए विभिन्न अधिनियमों, नियमों और विनियमों के तहत सभी वैधानिक प्रावधानों का पालन किया जाता है। डीजीएमएस के साथ पंजीकृत कोयला खदानों सहित खदानों में कार्यरत श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य, खान अधिनियम, 1952 और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के तहत सुनिश्चित किया जाता है।
खान अधिनियम, 1952 को खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) द्वारा उपयुक्त नियमों, विनियमों, मानकों और दिशानिर्देशों के विकास, निरीक्षण, दुर्घटनाओं की जांच, जागरूकता गतिविधियों और जोखिम प्रबंधन योजना और मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) को तैयार करके लागू किया जाता है।
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