पूर्वी क्षेत्र कृषि मेला खूंटी में शुरू, किसानों ने नवाचारों की ली जानकारी

कृषि झारखंड
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  • केंद्र सरकार की कोशिश किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की : अर्जुन मुंडा

खूंटी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने खूंटी में पूर्वी क्षेत्र कृषि मेले का शुभारंभ 3 फरवरी को किया। इस मौके पर मुंडा ने कहा कि यह मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए काफी लाभदायक होगा, जिसकी सार्थकता खेतों में नजर आएगी। केंद्र सरकार की कोशिश है कि हर राज्य खेती में आत्मनिर्भर बने। हमारे किसानों की आय बढ़े। किसानों को गर्व से यह कहने का मौका मिले कि हम किसी के मोहताज नहीं हैं, बल्कि हम मजबूत हैं और हमारे माध्यम से हमारा देश भी सशक्त है।

केवीके में लगा है मेला

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (रांची) के तत्वावधान में खूंटी के तोरपा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित इस मेले में पूर्वी राज्यों के हजारों किसान शामिल हुए हैं। मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में किसानों को परंपरागत खेती के साथ तकनीक से कैसे जोड़ा जाए, उनकी आय बढ़ाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर कैसे बनाएं, कृषि संबंधी विभिन्न मुद्दों का समाधान कैसे हो, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस वृहद मेले का आयोजन किया गया है।

उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान

मुंडा ने कहा कि आज हम इस अवस्था में हैं कि अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा कर सकें, लेकिन हमें भविष्य के लिए भी तैयारी करनी है। भूमि सीमित है व आबादी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। गुणवत्ता व पोषणयुक्त उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रबंधन व गवर्नेंस के माध्यम से कोशिश की जा रही है। विज्ञान व तकनीकी को जोड़ते हुए परंपरागत और पोषक तत्वों की उपलब्धता वाली खेती को बढ़ाकर किसानों के जीवन में खुशहाली व आत्मनिर्भरता की दिशा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय लगातार कार्य कर रहा है।

कार्बन उत्सर्जन को लेकर चिंता

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वी क्षेत्र में जनजातीय समाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। झारखंड में लाख उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। विश्व जैविक खेती की तरफ लौट रहा है। टिकाऊ खेती व उत्पादन बढ़ाने पर दुनिया चिंता कर रही है। जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन को लेकर चिंता हो रही है। भारत के लिए तो खेती रीढ़ की तरह है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति की चिंता करें व जल प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए भी काम करने की जरूरत है।

40 लाख की परिसंपत्ति वितरित

कार्यक्रम में लोक सभा के पूर्व उपाध्यक्ष पद्म भूषण करिया मुंडा, विधायक कोचे मुंडा, पूर्व सांसद डॉ. रवींद्र राय, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक आदि मौजूद थे। 5 फरवरी को समापन सत्र में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन मुख्य अतिथि होंगे। मेले में लगभग डेढ़ सौ स्टाल लगाए गए हैं। मुंडा के साथ ही बड़ी संख्या में किसानों ने इनका अवलोकन किया। कृषि संबंधी नवाचारों की जानकारी ली। मेले में सैकड़ों किसानों को लगभग 40 लाख रू. मूल्य के कृषि उपकरण व अन्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने स्वागत किया।

कई श्रेणियों में पुरस्‍कार दिए गए

मेले में कृषि संबंधी विषयों (उन्नत कृषि पद्धति, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, लाख व तसर उत्पादन आदि) पर गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं प्रगतिशील कृषकों वं उद्यमियों को कई श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए गए। टाटा ट्रस्ट द्वारा स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया है। इस मेले की थीम ‘सतत् एवं चक्रीय जैव-अर्थव्यवस्थाः आत्मनिर्भर व विकसित भारत का उत्प्रेरक’ है।

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