UP: श्रमजीवी एक्सप्रेस बम कांड के दो दोषी आतंकवादियों को सजा-ए-मौत, जानिए जुर्माना की राशि

उत्तर प्रदेश अपराध देश
Spread the love

उत्तर प्रदेश। इंसान को अपने किए की सजा भुगतनी पड़ती है। खबर उत्तर प्रदेश से आई है, जहां जौनपुरि के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार राय ने आज (बुधवार) से लगभग साढ़े 18 साल पहले श्रमजीवी एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले के दो आरोपी आतंकवादियों नफीकुल विश्वास (मुर्शिदाबाद बंगाल) और हिलालुद्दीन ऊर्फ हिलाल (बांग्लादेश) को आज (3 जनवरी 2024) को सजा-ए-मौत तथा 5-5 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनायी।

इसके पूर्व दो आरोपी आतंकवादियों आलमगीर उर्फ रोनी और ओबैदुर रहमान उर्फ बाबू भाई को 30 एवं 31 अगस्त 2016 को जिले के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम बुधिराम यादव द्वारा फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सतीश कुमार पांडेय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28 जुलाई 2005 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के हरपालगंज (सिंगरामउ) व कोइरीपुर (सुल्तानपुर) रेलवे स्टेशनों के बीच हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए भीषण बम विस्फोट में 14 लोग मारे गये और कम से कम 90 लोग घायल हो गये थे।

इस बम विस्फोट में शैफफैजल, कुनाल, सुधीर कुमार, परमशिला, विनोद, रविदास, कमालुद्दीन, सुबास ठाकुर, कुमारी कविता, सुबोध बढ़ई, अरविन्द सिंह, संतोष, दिगम्बर चौधरी, सफीक उर्फ डब्बू और अमरनाथ चौबे की जान गयी थी।

बम विस्फोट के पीछे आतंकवादी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई (बंगलादेश) नफीकुल विशवास (मुर्शीदाबाद), सोहाग खान उर्फ हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन (बंगलादेश), मोहम्मद आलमगिर उर्फ रोनी (बंगलादेश), डॉक्टर सईद और गुलाम राजदानी का हाथ होने के बारे में पता चला।

इसमें से डॉक्टर सईद का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है, जबकि एक आरोपी गुलाम राजदानी उर्फ याहिया को मुठभेड़ में मारा जा चुका है। इस घटना को अंजाम देने की योजना राजशाही बांग्लादेश में बनी थी। घटना में शामिल अन्य आतंकवादीयों में से डॉ सईद अभी फरार चह रहा है, उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है।

इस मामले में पुलिस ने पहले तीन आरोपी आतंकवादी क्रमशः ओबैदुर्रहमान, हिलालुद्दीन व नफीकुल विश्वास को पहले गिरफ्तार कर लिया है और तीनों को जौनपुर कारागर में बंद किया गया था। वर्ष 2007 में दिल्ली में मो. आलमगीर उर्फ रोनी को गिरफ्तार किया और उसे तिहाड़ जेल में रखा गया है। वहीं से हर पेशी पर जौनपुर लाया जाता था।

इस मामले की सुनवाई जिले के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) बुद्धिराम यादव कर रहे थे। उन्होंने 30 अगस्त 2016 को आलमगीर उर्फ रोनी और 31 अगस्त 2016 को ही ओबैदुरहमान उर्फ बाबू भाई के मामलों में दोनों आरोपियो को फांसी की सजा और 10-10 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुना चुके हैं।

इस समय इस मामले के दो आरोपियों नफी कुल विश्वास और हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल की सुनवाई जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार राय ने दोनों को मृत्यु दंड की सजा एवं 5-5 लाख रुपए जुर्माना से दंडित करने का आदेश दिया है। इस मामले में दिल्ली के सहायक पुलिस आयुक्त संजीव यादव भी बतौर साक्षी अपना बयान दे चुके हैं।

अभियोजन के अनुसार बांग्लादेश निवासी मुहिबुल ने तिहाड़ जेल में एसीपी को बयान दिया था कि श्रमजीवी में बम रखकर विस्फोट करने का उद्देश्य हिंदुस्तान में आतंक फैलाना था। इसके साथ ही भारत के लोगों को मार कर नकली नोट चला कर जेहाद करना था, जिसे दुनिया देखे, आतंक फैले और भारत व यहां के लोग तबाह हों।