इन पांच जजों को भी मिला राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता

उत्तर प्रदेश देश धर्म/अध्यात्म
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उत्तर प्रदेश। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी जश्न का माहौल है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश-विदेश की नामचीन हस्तियों को आमंत्रण भेजा गया है। इनमें अपने देश के पांच जज भी शामिल हैं।

बताते चलें कि, 9 नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों को अयोध्या राम प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने लगभग 70 साल की अदालती लड़ाई के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई, पूर्व सीजेआई जस्टिस एसए बोबडे, सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित किया है।

पांच में से चार जज सेवानिवृत्त हो चुके हैं और विभिन्न पदों काम कर रहे हैं। इन पांचों में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ वर्तमान में भारत के चीफ जस्टिस हैं। जब फैसला सुनाया गया, तो पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे, जो 17 नवंबर, 2019 को अयोध्या फैसला सुनाने के ठीक एक सप्ताह बाद रिटायर हो गए।

जस्टिस बोबडे को 18 नवंबर 2019 को रंजन गोगोई के बाद भारत का 47वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 1 वर्ष 5 माह का था। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को अयोध्या फैसला सुनाने के ठीक तीन साल बाद 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य जस्टिस के रूप में शपथ ली।

भारत के सर्वोच्च अदालत के मौजूदा जज के रूप में जस्टिस अशोक भूषण को 27 जुलाई 2020 को रावी व्यास नदी न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 04 जुलाई 2021 को भारत के सर्वोच्च अदालत के जज के रूप में रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद वह 08 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में शामिल हुए।

जस्टिस नज़ीर 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त हुए। अपनी सेवानिवृत्ति से पहले के महीनों में जस्टिस नज़ीर ने एक संविधान पीठ का नेतृत्व किया, जिसने भारत सरकार द्वारा 2016 में किए गए बैंक नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की और केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। जस्टिस नज़ीर वर्तमान में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हैं। वह भारतीय कानूनी प्रणाली के विशेषज्ञ हैं। वह लगातार प्राचीन भारतीय न्यायशास्त्र के महत्व और भारतीय कानूनी प्रणाली के उपनिवेशीकरण पर बोलते हैं और भारतीय न्यायिक प्रणाली को “भारतीय संस्कृति” के अनुसार ढालने के लिए कई उपाय सुझाते हैं।

शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या में पूरी विवादित भूमि रामलला को दे दी थी। पीठ ने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया था। राम मंदिर का निर्माण सात दशकों तक चले कानूनी विवाद का समाधान माना जाता है।