मेगा स्टूडेंट्स कांफ्रेंस ‘अभ्यास’ का समापन, सीए विद्यार्थियों को मिली बड़ी सीख

झारखंड
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रांची। दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की स्टूडेंट्स स्किल्स इंरीचमेंट बोर्ड (बोर्ड ऑफ़ स्टडीज, ऑपरेशन) के तत्‍वावधान में रांची के कांके रोड स्थित सीएमपीडीआई के मयूरी ऑडिटोरियम में आयोजित मेगा स्टूडेंट्स कांफ्रेंस ‘अभ्यास’ का समापन 7 जनवरी को हो गया। इस अवसर पर इंस्टिट्यूट के सेंट्रल काउंसिल सदस्य और कांफ्रेंस के सह निदेशक ज्ञान चंद्र मिश्रा ने कहा कि गर्व की बात है कि‍ सीए की परीक्षा की प्रतिष्ठा देश और पूरे विश्व एक निष्पक्ष परीक्षा के रूप में देखी जाती है। इसमें इंस्टिट्यूट के 75 वर्ष के इतिहास में इसके सभी स्टेकहोल्डरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मिश्रा ने बताया की इंस्टिट्यूट जान बूझकर किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं करता, जो परीक्षार्थी थोड़े बहुत अंकों से फ़ेल हो रहे होते हैं उन्हें कुछ ग्रेस अंक देकर पास कर देता है। विद्यार्थी अपनी उतरपुस्तिका भी इंस्टिट्यूट से मांगकर देख सकते हैं। यह भ्रान्ति है कि सीए इंस्टिट्यूट जबर्दस्ती विद्यार्थियों को अनुतीर्ण करता है। उन्होंने कहा कि सीए इंस्टिट्यूट द्वारा दी जा रही आधुनिक शिक्षा और प्रशिक्षण के कारण कोई भी दूसरा कोर्स इसकी बराबरी नहीं कर सकता।

पूर्व काउंसिल सदस्य और सूरत के विशेषज्ञ जय छरिया ने भगवत गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन में हमें अपने गोल को पैशन बनाना चाहिए। हम सीए कोर्स कर रहे हैं तो हमें अंकेक्षण, लॉ, एकाउंटिंग जैसे विषयों के साथ प्यार करना सीखना होगा। भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ, जन्म के साथ माता पिता दूर हो गए। राज पाठ छीन गया, लेकिन भगवान कृष्ण ने कभी भी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनाया। उसी तरह हमें सीए कोर्स कठिन है बोलकर अपनी गलती नहीं छुपानी चाहिए।

सीए स्टूडेंट्स कांफ्रेंस के सह डायरेक्टर और सेंट्रल काउंसिल सदस्य अभय छाजेड़ ने सीए कोर्स की नई प्रणाली के बारे में बताया। कहा कि सीए कोर्स को अब और अधिक तार्किक, वैश्विक और तकनीक रूप से सशक्त बनाया गया है, ताकि कोर्स उत्तीर्ण करने के बाद कोई भी व्यक्ति पूरे विश्व में कहीं भी आसानी से रोजगार प्राप्त कर सके।

शुभम सिंघल ने प्रत्यक्ष कर में आयकर से सम्बंधित पुराने रेजीम और नए रेजीम के प्रमुख अंतर को समझाया। बताया कि यदि करदाता अपनी आय का बड़ी रकम इन्वेस्ट करता है तो उसके लिए पुराने रेजीम और जो काम निवेश या निवेश नहीं करता उसके लिए आयकर के नए रेजीम उपयुक्त है। आर्टीफिटियल इंटेलिजेंस की मदद से आयकर विभाग आज तकनीकी रूप से काफी मजबूत बन चुका है। इस कारण अब टैक्‍स की चोरी काफी मुश्किल है।

इंस्टिट्यूट के सेंट्रल काउंसिल सदस्य चरणजोत सिंह नंदा ने बताया कि वित्तीय विशेषज्ञ होने के कारण चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए कैपिटल मार्केट में काफी अवसर हैं। कैपिटल मार्केट में घुसने से पहले इसका सही अध्ययन करना जरूरी है। शुरुआत में नुकसान हो सकता है, लेकिन धैर्य रखकर निवेश जारी रखने से कैपिटल मार्केट से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

मुंबई से आए विशेषज्ञ भंवर भुराणा ने सीए कोर्स उत्तीर्ण करने के महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्‍होंने कहा कि सीए कोर्स मुश्किल नहीं है। यदि कोई भी विद्यार्थी अपने आप में विश्वास करके पूरी मेहनत से तैयारी करके परीक्षा उत्तीर्ण कर सकता है। सीए कोर्स के लिए विद्यार्थी को पढ़ने लिखने में तेज होना कोई मायने नहीं रखता। इसमें कौन कितना मेहनत करता है, वह महत्वपूर्ण होता है।

कांफ्रेंस के दूसरे दिन भी रांची सहित दूसरे शहरों से आए विद्यार्थियों ने अपने- अपने पेपर्स प्रस्‍तुत किए। तकनीकी सत्रों को रीजनल काउंसिल सदस्या मनीषा बियानी, अखिल पोद्दार, जेपी शर्मा, अंकित राजगड़ि‍या और रणजीत गाड़ोदिया ने अध्यक्षता की।

कांफ्रेंस के अंत में बेस्ट पेपर्स प्रेसेंटेर्स को सर्टिफिकेट और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कांफ्रेंस के आयोजन में महत्वपूर्ण सहयोग के लिए विवेक जैन, विशाल चंद्रा, रोहित रॉय, राहुल चौधरी, प्रह्लाद कुमार, शुभम मोदी, तनुज, पियूष अग्रवाल, आशीष कुशवाहा, हर्षित गोयल को मोमेंटो देकर समान्नित किया गया।

कांफ्रेंस के आयोजन में इंस्टिट्यूट की रांची शाखा के अध्यक्ष पंकज मक्कड़, रांची शाखा के उपाध्यक्ष श्रद्धा बागला, कार्यकारिणी सदस्य प्रभात कुमार, अभिषेक केडिया, हरेन्दर भारती और उमेश कुमार का महत्वपूर्ण योगदान था।

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