नए कानूनों में फॉरेंसिक साइंस को दिया गया है महत्व, युवाओं को मिलेगा अवसर : अमित शाह

झारखंड
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रांची। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के 5वें अंतर्राष्ट्रीय और 44वें अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को मंगलवार को संबोधित किया। उन्‍होंने स्पष्ट किया कि नए कानूनों में इन्वेस्टिगेशन, प्रॉसीक्यूशन और न्यायिक प्रक्रिया में फॉरेंसिक साइंस को महत्व दिया गया है, इससे युवाओं के लिए बहुत बड़ा क्षेत्र खुलने जा रहा है। अगले 5 साल के अंदर तीनों नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।

गृह मंत्री ने कहा कि देश की जनता ने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पिछले 10 साल में 50 से अधिक युग परिवर्तनकारी काम किया है। नए भारत के नए कानून में में टेक्नोलॉजी के उपयोग से अब न्याय अवेलेबल, अफोर्डेबल और एक्सेसिबल होगा। अमृतकाल में तीन नए कानून से इज ऑफ पुलिसिंग और इज ऑफ जस्टिस का दौर शुरू करने वाले तथा गुलामी की मानसिकता को खत्म कर न्याय की मंशा से कानून बनाने वाले भारतीय राजनीति के चाणक्य शाह ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि आने वाले 5 साल बाद देश में हर वर्ष 9,000 से अधिक फॉरेंसिक साइंस ऑफिसर्स तैयार होंगे।

शाह ने कहा कि आने वाले 1 साल में देशभर में नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के 9 और कैंपस खुलेंगे, जो क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में फॉरेंसिक साइंस के उपयोग के रिसोर्सेज तैयार करने में अहम भूमिका निभाएंगे। न्याय के लिए प्रतिबद्ध शाह जहां यह मानते हैं कि फॉरेंसिक साइंस का उपयोग ना केवल इंवेस्टिगेशन बल्कि न्याय दिलाने की प्रक्रिया में भी हो, वहीं यह भी मानते हैं कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को अपराधियों से 2 जनरेशन आगे रहने की जरुरत है।

यह भी एक संयोग है कि नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के 5वें अंतर्राष्ट्रीय और 44वें अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली एक नए युग में प्रवेश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए नए भारत का नया कानून बनाकर अभूतपूर्व काम किया है। पहले के कानून का उद्देश्य अंग्रेजों के राज को सुरक्षित करना और भारतीयों को दंड देना था, अब न्याय की मूल भावना से कानून को लाया गया है।

यह भी गौर करने वाली बात है कि पहले के कानून में ‘दंड’ शब्द जुड़ा हुआ था, जबकि नए कानून में ‘न्याय’ शब्द जुड़ा हुआ है। नए कानून में 7 साल और उससे बड़ी सजा के लिए हर क्राइम सीन पर फॉरेंसिक साइंस ऑफिसर का विजिट अनिवार्य करने वाले शाह का मानना है कि इससे जांच आसान हो जाएगी। जजों का काम भी आसान हो जाएगा। टेक्नोलॉजी की मदद से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की सभी चुनौतियों को दूर कर 5 सालों में देश की न्याय व्यवस्था दुनिया भर में सबसे आधुनिक बनेगी।

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