रांची। राष्ट्रीय आह्वान पर पोस्टल/आरएमएस पेंशनर्स एसोसिएशन ने रांची जीपीओ में 17 दिसंबर, 2023 को पेंशनर्स दिवस मनाया। पेंशन के संवैधानिक अधिकार की रक्षा एकजुट होकर ही की जा सकती है।
संविधान पीठ ने 17 दिसंबर, 1982 को वाईवी चंद्रचूड की अध्यक्षता में पेंशन को लेकर एक एतिहासिक निर्णय दिया था। कहा था कि पेंशन कोई भीख, एक्सग्रेशिया नहीं है, जो नियुक्ता की मर्जी पर निर्भर करता हो। यह एक संवैधानिक अधिकार है, जो सेवा अवधि के बदले सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के तहत जीवन यापन के लिए दिया जाता है।
राष्ट्रीय पेंशर्स दिवस में पूर्व वरीय डाक अधीक्षक साधन कुमार सिन्हा और विमल किशोर, रंगनाथ पांडेय, बी बारा, हसीना ग्रेस तिग्गा, जेठू बड़ाइक, रमेश सिंह, त्रिलोकी नाथ साहू, त्रिवेणी ठाकुर, गौतम विश्वास, रामचंद्र प्रसाद, सुखदेव राम, राजेंद्र महतो, राम नरेश पांडे, डीएन साहू, केडी राय व्यथित, एमजेड ख़ान आदि शामिल थे।
सभा की अध्यक्षता केडी राय व्यथित ने की। संचालन स्टेट सचिव एमजेड ख़ान ने किया। सदस्यों ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 17 दिसंबर को डीएस नकारा की स्मृति में यह दिवस मनाया जाता है। आज पेंशन पर पहले से ज्यादा खतरे बढ़ गए हैं। एनपीएस की वापसी को लेकर देश भर में जोरदार विरोध हो रहा है।
पेंशर्न्स दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्टेट सचिव ने कहा कि अपने संवैधानिक अधिकार की रक्षा हम एकजुट होकर ही कर सकते हैं। आज पेंशन मिल रही है, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कल भी मिलेगी। सरकार इसे बोझ समझने लगी है। इसको खत्म करने की साजिश रची जा रही है।
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