रांची। राजकमल प्रकाशन और डॉ. रामदयाल मुंडा, जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे किताब उत्सव का समापन 24 दिसंबर को हो गया। किताब उत्सव के अंतिम दिन पहला सत्र ‘साहित्य और राजनीति’ विषय पर केंद्रित रहा। इस सत्र में राज्यसभा सांसद एवं लेखिका महुआ माजी से धर्मेन्द्र सुशांत ने उनके लेखन और राजनीतिक जीवन पर बातचीत की।
महुआ माजी ने कहा कि राजनीति में आई हूं, पर अंदर का लेखक जिंदा है। साहित्य ने ही मुझे राजनीति में संवेदनशीलता से काम करना सिखाया है। विकास या विध्वंश के सवाल पर उन्होंने कहा कि जंगल लूटने के लिए केंद्र सरकार ने नया फॉरेस्ट बिल पास कराया है। साहित्य अकादमी के सवाल पर उन्होंने बताया कि झारखण्ड में भी जल्द साहित्य अकादमी बनाई जायेगी।
इस दौरान महुआ माजी के हाथों आदिवासी महोसव 2023 के ट्राइबल क्यूज़ीन प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया और आखिर में केक काटकर सबको क्रिसमस की बधाई भी दी गई।
दोपहर से ‘हमारा झारखण्ड हमारा गौरव’ सत्र में योगेंद्र नाथ सिन्हा के साहित्यिक जीवन पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस सत्र के वक्ता के रूप में विद्या भूषण उपस्थित रहे। वरिष्ठ साहित्यकार विद्या भूषण ने बताया कि योगेंद्र नाथ सिन्हा का लेखन मुख्यता हो जनजाति के जीवनशैली पर रहा। योगेंद्र नाथ सिन्हा ने 56 कहानियां आदिवासी समुदाय की पृष्ठभूमि पर लिखा। वे एक समर्पित कथाकार थे।
तीसरे सत्र का विषय ‘विरासत निर्माता’ रहा। इसमें रघुनाथ मुर्मू, लाको बोदरा, पंडित आयता उरांव और प्यारा केरकेट्टा के जीवन और संघर्ष पर विशेष चर्चा की गई। इस सत्र में दूमनी माई मुर्मू, दयामनी सिंकु, प्रेमचंद उरांव और डॉ. तरकेलेंग कुल्लू ने विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से झारखंड के विरासत निर्माताओं को याद किया।
किताब उत्सव का अंतिम सत्र काव्य संध्या का रहा। इसमें आदिवासी कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संयोजन वरिष्ठ आदिवासी साहित्यकार वन्दना टेटे ने किया।
सात दिनों तक चले किताब उत्सव में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में आदिवासी संस्कृति और साहित्य की पुस्तकों को सर्वाधिक पसन्द किया गया।
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