रांची। बीएमएस से संबद्ध सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ (सीसीएल सीकेएस) ने सीएमपीएफ में हुए घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की। इसके लिए रांची लोकसभा सांसद संजय सेठ को 25 दिसंबर, 2023 को मांग पत्र सौंपा। सीएमपीएफ में हो रही गड़बड़ी को दूर करने के लिए कई सुझाव भी दिए।
संघ के महामंत्री राजीव रंजन सिंह ने सौंपे मांग पत्र में कहा है कि कोयला कर्मियों की मेहनत की कमाई 1.5 लाख करोड रुपये का भविष्य निधि और पेंशन फंड धनबाद स्थित सीएमपीएफ संगठन द्वारा प्रबंधित किया जाता है। आयुक्त इसके मुखिया हैं। न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष भारत सरकार कोयला मंत्रालय के सचिव हैं।
दुर्भाग्य से सीएमपीएफ संगठन का मुख्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। वर्ष 2015-18 के दौरान दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में 1,390.25 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। फंड मैनेजरों ने संगठन को रेटिंग में गिरावट के बारे में सूचित किया था, लेकिन सीएमपीएफओ के संबंधित अधिकारियों ने गैर-परिवर्तनीय डिवेंचर के शीघ्र मोचन के लिए समय पर उचित कदम नहीं उठाए। इसके कारण 727.67 करोड रुपये का नुकसान संगठन को हुआ।
सीएजी ने भी वार्षिक खातों की रिपोर्ट में गंभीर आपत्तियों /टिप्पणियां की है। इसी तरह वर्ष 2011-14 के दौरान इन्फ्रास्टक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज में 102.43 करोड रुपये और रिलायंस कैपिटल में 150 करोड रुपये का निवेश किया गया था। हालांकि कंपनियों के परिसमापन में जाने से पहले सीएमपीएफ अधिकारियों द्वारा राशि वापस लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे संगठन को भारी नुकसान होने की आशंका है।
इसके अलावा यह ज्ञात नहीं है कि निजी कंपनियों में कितना निवेश किया गया है और उसका भविष्य क्या होगा। सीएमपीएफ संगठन में कोई पारदर्शिता नहीं है। उपरोक्त विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाकर कोयला कर्मियों के पेंशन/पीएफ फंड को बचाने में सहयोग करें।
सांसद संजय सेठ को ज्ञापन के दौरान सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ के महामंत्री राजीव रंजन सिंह, मुख्यालय कार्यकारी अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, मुख्यालय कोषाध्यक्ष मनोज सहाय, मुख्यालय कार्यसमिति सदस्य श्रीमती किरण कुमारी के अलावा संगठन के अन्य सदस्य शामिल थे।
ये है मांगें और सुझाव
- उपरोक्त घोटालों की जांच सीबीआई से कराएं। दोषियों को दंडित करें। साथ ही, निगली गई राशि वसूली भी करें।
- वित्तीय पृष्ठभूमि और अनुभव वाले एक कुशल आयुक्त को नियुक्त किया जाए।
- संगठन का सम्पूर्ण ओवरहाल (overhaul) किया जाए।
- संगठन के प्रशासन और कामकाज में पारदर्शिता लाई जाए।
- पूरी प्रणाली का डिजिटल बनाया जाए।
- निजी संस्थाओं में निवेश नहीं करें, जब तक कि भारत सरकार गांरटी नहीं दें।
- भविष्य निधि आयुक्त/कोयला सचिव को जवाबदेह बनाया जाए।
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