रांची। सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ ने सीएमपीएफ में हुए घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है। इसे लेकर 29 दिसंबर, 2023 को चतरा लोकसभा सांसद सह कोल कंसल्टेटिव कमेटी के सदस्य सुनील कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि कोयला कर्मियों की मेहनत की कमाई 1.5 लाख करोड़ रुपये का भविष्य निधि और पेंशन फंड धनबाद स्थित सीएमपीएफ संगठन द्वारा प्रबंधित किया जाता है। आयुक्त इसके मुखिया हैं। न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव हैं।
संघ ने कहा कि दुर्भाग्य से सीएमपीएफ संगठन का मुख्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। वर्ष 2015-18 के दौरान दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में 1,390.25 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। फंड मैनेजरों ने संगठन को रेटिंग में गिरावट के बारे में सूचित किया था। इसके बाद भी सीएमपीएफ के संबंधित अधिकारियों ने गैर-परिवर्तनीय डिवेंचर के शीघ्र मोचन के लिए समय पर उचित कदम नहीं उठाए। इसके परिणामस्वरुप 727.67 करोड रुपये का नुकसान संगठन को हुआ।
सीएजी ने भी वार्षिक खातों रिपोर्ट में गंभीर आपत्तियों /टिप्पणियों की है। इसी तरह, वर्ष 2011-14 के दौरान इन्फ्रास्टक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज में 102.43 करोड रुपये और रिलायंस कैपिटल में 150 करोड रुपये का निवेश किया गया था। कंपनियों के परिसमापन में जाने से पहले सीएमपीएफ अधिकारियों द्वारा राशि वापस लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे संगठन को भारी नुकसान होने की आशंका है।
इसके अलावा यह ज्ञात नहीं है कि निजी कंपनियों में कितना निवेश किया गया है और उसका भविष्य क्या होगा। सीएमपीएफ संगठन में कोई पारदर्शिता नहीं है। सदस्यों ने कहा कि उपरोक्त विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाकर कोयला कर्मियों के पेंशन/पीएफ फंड को बचाने में सहयोग करें।
सांसद को ज्ञापन देने के दौरान सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ के महामंत्री राजीव रंजन सिंह, अ.भा.ख.म. संघ की कार्यसमिति के सदस्य संजय कुमार चौधरी, संयुक्त महामंत्री निर्गुण महतो, अनूप दराद, विभाग प्रमुख रांची, सीसीएल सीकेएस उपाध्यक्ष मुकेश कुमार, आम्रपाली चंद्रगुप्त क्षेत्र सचिव शिव कुमार सिंह, पिपरवार क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप गोस्वामी, संजीव चंद्रा मौजूद थे।
ये मांगें की गई
- उपरोक्त घोटालों की जांच सीबीआई से कराएं। दोषियों को दंडित करें। निगली गई राशि वसूली भी करें।
- वित्तीय पृष्ठभूमि और अनुभव वाले एक कुशल आयुक्त को नियुक्त किया जाए।
- संगठन का संपूर्ण ओवरहाल किया जाए।
- संगठन के प्रशासन और कामकाज में पारदर्शिता लाई जाए।
- पूरे प्रणाली का डिजिटल किया जाए।
- निजी संस्थाओं में निवेश नहीं किया जाए, जब तक कि भारत सरकार गांरटी नहीं दें।
- भविष्य निधि आयुक्त/कोयला सचिव को जवाबदेह बनाया जाए।
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