कोयला रहित खदानों में पंप भंडारण परियोजनाओं का विकास शुरू करेगा मंत्रालय

नई दिल्ली देश
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  • कोल इंडिया ने ऐसी परियोजनाओं के लिए 20 परित्यक्त खदानों की पहचान की

नई दिल्‍ली। कोयला मंत्रालय कोयला रहित खदानों में पंप भंडारण परियोजनाएं (पीएसपी) विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के मामले में विविधता लाना है।

पंप भंडारण परियोजनाओं के माध्यम से कोयला क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए जल विद्युत विकसित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने की योजना बनाई गई है। इस पहल का उद्देश्य दिन में सौर ऊर्जा का उपयोग करना और रात में पनबिजली का उत्पादन करना है।

पंप्‍ड स्‍टोरेज पावर प्‍लांट ऐसे पानी का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करते हैं, जिसे पहले गड्ढे में एक जलाशय से सतह पर ऊपरी जलाशय में पंप किया गया है। कम मांग की अवधि के दौरान इस पानी को उच्च जलाशय में पंप किया जाता है। जब मांग अधिक होती है, तो बिजलीघर में टरबाइन चलाने और ग्रिड में बिजली पहुंचाने के लिए पानी छोड़ा जाता है। उल्‍लेखनीय है कि कोयला उत्पादक क्षेत्रों में विशाल भूमि क्षेत्र वाली 200 से अधिक कोयला रहित खदानें उपलब्ध हैं। इनमें से कई खदानें पीएसपी के लिए व्‍यवहार्य हैं क्योंकि वहां निचला जलाशय, जल स्रोत और भूमि उपलब्ध हैं।

कोयला मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में आयोजित विविधीकरण समीक्षा बैठक में कोल इंडिया लिमिटेड ने बताया कि पंप भंडारण परियोजनाओं के मूल्यांकन और व्यवहार्यता अध्ययन के लिए 20 से अधिक परित्यक्त खदानों की पहचान की गई है। एनएलसीआईएल ने पीएसपी पर व्यवहार्यता अध्ययन भी आरंभ किया है।

इसके अतिरिक्‍त, उन एजेंसियों के साथ हितधारकों के परामर्श के लिए निर्देश दिए गए हैं, जो ऐसी परियोजनाओं को शुरू करने में रुचि रखते हैं। अतिरिक्त स्‍थलों की पहचान कर सकते हैं जिनका उपयोग पंप भंडारण परियोजनाओं की स्थापना के लिए किया जा सकता है। ईपीसी और पीपीपी जैसे बिजनेस मॉडल को हितधारकों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जा सकता है और ऐसी परियोजना को राज्य सरकारों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों सहित विभिन्न हितधारकों के सहयोग से कार्यान्वित किया जा सकता है।

कोयला मंत्रालय सतत विकास को बढ़ावा देने और संसाधन उपयोग को इष्‍टतम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह की पहल से सतत विकास को बढ़ावा देने और कोयला क्षेत्र के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी। कोयला मंत्रालय संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने और नागरिकों को निरंतर बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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