
पटना। लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार दांव पर दांव खेले जा रहे हैं। इससे बिहार की राजनीति गरमा गई है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में जातिगत सर्वे की रिपोर्ट को विस्तार से पेश किया। इस दौरान उन्होंने राज्य में बढ़ती हुई जनसंख्या से लेकर कई पहलुओं पर अपनी राय रखी।
इस दौरान उन्होंने बिहार में आरक्षण का दायरा 50% से बढ़ाकर 65% करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार सरकार ने ओबीसी (OBC) और ईबीसी (EBC) वर्ग के लिए ये प्रस्ताव पेश किया है।
विधानसभा में पेश प्रस्ताव के मुताबिक अनुसूचित जाति (SC) को फिलहाल 16 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 20 फीसदी करने, अनुसूचित जनजाति (ST) को 1 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी करने, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को मिलाकर 43 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में जो प्रस्ताव दिया, वह अगर फाइनल हो गया, तो बिहार की सरकारी नौकरियों में अनारक्षित वर्ग के लिए मात्र 25 प्रतिशत सीटें बचेंगी। सरकारी नौकरियों के बाद सरकार बाकी चीजों में भी यह आरक्षण रोस्टर लागू करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि जाति गणना की रिपोर्ट के आधार पर बिहार सरकार निर्णय लेगी।
अनुसूचित जाति और जनजातियों की संख्या में वृद्धि के कारण इन्हें मिलने वाले आरक्षण को बढ़ाना पड़ेगा। सरकारी सेवाओं में इनके आरक्षण के अनुपात को तो बढ़ाना ही होगा। पिछड़े वर्ग और अतिपिछड़े के लिए भी आरक्षण बढ़ना चाहिए।
मेरा यह कहना है कि जो 50 प्रतिशत आरक्षण है, उसे हम 65 प्रतिशत कर दें। पहले से अगड़ी जातियों को 10 प्रतिशत है, तो इस 65 प्रतिशत के बाद कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा। तब अनारक्षित 25 प्रतिशत बचेगा।