नई दिल्ली। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारका में विजयादशमी के मौके पर रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए। द्वारका में जनता को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा कि विजयदशमी के ये पर्व अन्याय पर न्याय की विजय।
अहंकार पर विनम्रता की विजय और आवेश पर धैर्य की विजय का पर्व है। ये अत्याचारी रावण पर भगवान श्री राम के विजय का पर्व है। हम इसी भावना के साथ हर वर्ष रावण दहन करते हैं। ये पर्व हमारे लिए संकल्पों का भी पर्व है। अपने संकल्पों को दोहराने का भी पर्व है।

पीएम मोदी ने कहा कि हम इस बार विजयदशमी तब मना रहे हैं, जब चंद्रमा पर हमारी विजय को दो महीने पूरे हुए हैं। विजयादशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए शस्त्र पूजा की जाती है।
आइए जानें क्या हैं वो 10 संकल्प
- आने वाली पीढ़ियों का ध्यान रखते हुए हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाएं
- हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल लेन देन के लिए प्ररित करें
- हम अपने गांव और शहर को स्वच्छता में आगे लेकर जाएं
- हम ज्यादा से ज्यादा वोकल फॉर लोकल के मंत्र को फॉलो करेंगे। मेड इन इंडिया प्रोडक्ट का इस्तेमाल करेंगे।
- हम क्वालिटी काम करेंगे। क्वालिटी प्रोडक्ट बनाएंगे। खराब क्वालिटी की वजह से देश के सम्मान में कमी नहीं आने देखेंगे
- हम पहले अपना पूरा देश देखेंगे, यात्रा करेंगे और पूरा देश देखने के बाद समय मिले तो फिर विदेश के लिए सोचेंगे
- हम नेचुरल फार्मिंग के प्रति किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरुक करेंगे
- हम सुपरफूड मिलेट्स, श्री अन्न को अपने रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करेंगे। इससे हमारे छोटे किसानों को और हमारी सेहत को बहुत फायदा होगा।
- हम सब व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए योग हो, स्पोर्ट्स, फिटनेस को अपने जीवन मे प्राथमिकता देंगे।
- हम कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बनकर उसके सामाजिक आर्थिक स्तर बढ़ाएंगे। जब तक देश में एक भी गरीब ऐसा है, जिसके पास मूल सुविधाएं नहीं है। घर हो, बिजली हो, गैस हो या पानी। ये सुविधाएं नहीं है। हम चैन से नहीं बैठेंगे। हमें हर लाभार्थी तक पहुंचना है। उसकी सहायता करनी है। तभी देश में विकसित भारत का सपना पूरा होगा। सबका विकास होगा। तभी भारत विकसित बनेगा।
पीएम मोदी ने कहा- विजयदशमी का पर्व सिर्फ रावण की राम की विजय का पर्व नहीं राष्ट्र की हर बुराई पर राष्टभक्ति की विजय का पर्व बनना चाहिए। हमें समाज में बुराईयों के भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 वर्ष भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पूरा विश्व आज भारत की ओर नजर टिकाए, हमारे सामर्थ्य को देख रहा है। अब हमें विश्राम नहीं करना है।
रामचरित मानस में भी लिखा है, राम काज किन्हें मिलूं, मोहि कहां विश्राम। हमें भगवान राम के विचारों का भारत बनाना है। विकसित भारत जो आत्मनिर्भर हो। विकसित भारत जो विश्व शांति का संदेश दे। विकसित भारत जहां सबको अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार हो। विकसित भारत जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का अहसास हो।