- ताप विद्युत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति खपत से अधिक
नई दिल्ली। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान देश में कोयले के उत्पादन में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कोल इंडिया की वृद्धि दर 11.90 प्रतिशत, एससीसीएल की 7.82 प्रतिशत और कैप्टिव एवं वाणिज्यिक खदानों की वृद्धि दर 20.94 प्रतिशत है। कोयले की आपूर्ति में 11.70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। विद्युत क्षेत्र को की गई आपूर्ति में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 7.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आंकड़ा 28 अक्टूबर, 2023 तक का है।
कोयला मंत्रालय ने ईसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल और डब्ल्यूसीएल जैसी उन कोयला कंपनियों में कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जहां रेलवे (कमीशन किए गए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर सहित) के अपेक्षाकृत बेहतर निकासी संबंधी लॉजिस्टिक्स उपलब्ध हैं। ईसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल और डब्ल्यूसीएल के कोयले के उत्पादन में क्रमशः 18.70 प्रतिशत, 17.60 प्रतिशत, 13.90 प्रतिशत और 18.00 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
कोयला उत्पादक राज्यों में अक्टूबर की शुरुआत में हुई अभूतपूर्व वर्षा के बाद पिछले 15 दिनों के दौरान कोयले के उत्पादन में तेजी आई है। मात्र पिछले 15 दिनों के दौरान ही सभी स्रोतों से होने वाला कुल उत्पादन 26.40 लाख टन प्रतिदिन से अधिक है।
इसके अलावा, 28 अक्टूबर 2023 तक कोल इंडिया, एससीसीएल, कैप्टिव खदानों के निकासी स्थल पर कुल कोयला स्टॉक और पारगमन में कोयले की आपूर्ति पिछले वर्ष की इसी अवधि के 37.40 एमटी की तुलना में 53.23 एमटी है, जोकि 42.32 प्रतिशत अधिक है।
इस अवधि के दौरान मिश्रण के लिए आयातित कोयले की खपत पिछले वर्ष की इसी अवधि के के 20.8 एमटी की तुलना में 13.5 एमटी रही, जोकि मिश्रण संबंधी उद्देश्यों के लिए खपत किए गए आयातित कोयले में 35 प्रतिशत की कमी को दर्शाती है।
ताप विद्युत संयंत्रों के स्तर पर कोयले के भंडार के रुझान में पहले जो कमी दिख रही थी। उसमें अब पिछले 10 दिनों के दौरान वृद्धि का रुझान दिखाई दे रहा है। यह दर्शाता है कि ताप विद्युत संयंत्रों के मामले में कोयले की आपूर्ति/आवक खपत से अधिक है। कुल मिलाकर, ताप विद्युत संयंत्रों (सेंट्रल जेनकोस, स्टेट जेनकोस, आदि सहित) के स्टॉक में वृद्धि हुई है।
आम तौर पर पहली छमाही में कोयले का उत्पादन और परिवहन कम होता है, क्योंकि वर्ष की पहली छमाही में मुख्य रूप से गर्मी होती है। उसके बाद मानसून आता है। मानसून के बाद उत्पादन और परिवहन की स्थिति अनुकूल होती है। दूसरी छमाही में कोयले की आपूर्ति खपत से अधिक होती है। इसलिए, वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान, विद्युत संयंत्रों और खदानों में कोयले का भंडार बढ़ गया है।
कोयला मंत्रालय कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह रेल एवं विद्युत मंत्रालय के साथ घनिष्ठ समन्वय बनाए हुए है।
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