रांची। कोल इंडिया (Coal India) और उसकी सहायक कंपनियों में कार्यरत कामगारों का सितंबर का वेतन भुगतान फिलहाल लटक गया है। कोल इंडिया ने भुगतान पर रोक लगाने का आदेश रविवार को जारी किया। कामगारों का एनसीडब्ल्यूए-11 के तहत वेतन भुगतान करना यूनियनों के लिए भी अग्निपरीक्षा है।
जानकारी हो कि कोल इंडिया (Coal India) के अधिकारियों ने कामगारों के वेतन समझौते को चुनौती दी थी। इसपर रोक लगाने की मांग की थी। कहा था कि इसमें डीपीई की मंजूरी नहीं ली गई है। बीते 29 अगस्त, 2023 को अंतिम सुनवाई के बाद जबलपुर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यूनियन की ओर से इसमें एचएमएस के नाथूलाल पांडेय ने दलील दी थी।

जबलपुर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 11वों वेतन समझौते के 22 जून, 2023 के कोल मंत्रालय द्वारा जारी अप्रूवल ऑर्डर को रद्द कर दिया। इस मामले पर निर्णय लेने के लिए डीपीई के पास भेजने का आदेश दिया है। उसपर 60 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
कोर्ट का निर्देश आने के बाद ऐसी आशंका जताई जाने लगी कि कामगारों को 10वें वेतन समझौते के मुताबिक वेतन भुगतान किया जाएगा। इस बीच पांचों केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने बैठक कर 5 अक्टूबर से तीन दिनों की हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। प्रबंधन को नोटिस भी दे दिया। हड़ताल की तैयारी जोर-शोर से की जाने लगी।
इस बीच प्रबंधन ने 27 सितंबर को यूनियनों की बैठक बुलाई। चर्चा के दौरान कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद के आश्वासन पर 11 अक्टूबर तक हड़ताल टाल दी गई। चेयरमैन ने कहा कि वह भारत सरकार से 11वें वेतन समझौते का अनुमोदन लेने का प्रयास करेंगे।
हड़ताल स्थगित होने के बाद एनसीडब्ल्यूए-11 के अनुसार वेतन भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई। प्रबंधन की ओर से इसे लेकर 30 सितंबर तक किसी तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया। आदेश जारी नहीं होने से एनसीडब्ल्यूए-11 के मुताबिक ही वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई। छुट्टी होने के बाद भी रविवार को आदेश जारी कर कोल इंडिया ने वेतन भुगतान पर 2 से 3 दिनों के लिए रोक लगा दी।
वेतन पर रोक का आदेश आते ही कामगार आक्रोशित हो गए। अब यूनियन प्रतिनिधि डैमेज कंट्रोल करने में लगे हैं। उनका कहना है कि इस मामले में कोर्ट से स्टे नहीं मिलने पर 12 अक्टूबर से तीन दिवसीय हड़ताल होगी। यूनियन के इसी रूख को लेकर उसकी अग्निपरीक्षा है।
जानकारों का कहना है कि कोल इंडिया (Coal India) ने वेतन भुगतान पर रोक का निर्णय खुद नहीं लिया है। हाई कोर्ट द्वारा एनसीडब्ल्यूए-11 का समझौता रद्द किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। इस मामले में कानून के जानकारों से राय भी ली गई। प्रबंधन द्वारा वेतन भुगतान पर रोक नहीं लगाने से कोर्ट की अवमानना होती।
कोयला यूनियनों ने 12 अक्टूबर से हड़ताल का एलान तो कर दिया है, पर उसपर अमली करना चुनौती से कम नहीं है। एक तो कोयला उद्योग को केंद्र सरकार ने आवश्यक सेवा की सूची में रखा है, दूसरा एनसीडब्ल्यूए-11 पर हाई कोर्ट ने रोक लगाया है। ऐसी स्थिति में हड़ताल पर जाने से दोनों का उल्लंघन होगा। कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान भी ले सकता है। ऐसा होने पर कामगारों को लेने के देने पड़ सकते हैं।
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