नई दिल्ली। आर्टिकल 370 पर SC ने बड़ी टिप्पणी की है। कहा है कि संविधान का ऐसा कोई प्रावधान नहीं, जो इसे कश्मीर में लागू होने से रोकता हो। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 (Article 370 Abrogation) को खत्म करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ में इस मामले को लेकर मंगलवार को 8वें दिन भी सुनवाई की गई।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस मामले पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता हो। सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर संविधान का अनुच्छेद 5 दर्शाता है कि भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अनुच्छेद 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं, जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा? क्या संविधान सभा के किसी सदस्य द्वारा दिया गया भाषण जम्मू-कश्मीर के प्रति राष्ट्र की बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व कर सकता है? और क्या 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना निर्णय लेने के बाद, क्या संप्रभु भारत के पास संविधान के किसी भी प्रावधान को लागू करने की कोई शक्ति नहीं होगी?’
सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में शामिल जस्टिस संजय किशन कौल ने भी कहा कि यह स्वीकार करना कठिन है कि संविधान सभा की बहस इस आश्वासन तक सीमित थी कि अनुच्छेद 370 अपने आप समाप्त हो जाएगा। अगर आप जो कह रहे हैं, उसे हम स्वीकार कर लें, तो क्या होगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है, जो आज बुधवार को भी जारी रहेगी। इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इस बीच देखा जाए, तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच की यह टिप्पणी तब आई जब हस्तक्षेपकर्ता प्रेम शंकर झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370, जो पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा देता था, में से कुछ भी जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने के बाद बचा नहीं है। 26 जनवरी, 1957 को अधिनियमित किया गया और राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया।
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