रांची। बड़ी खबर ये आई है कि, एकीकृत बिहार के समय का सबसे बड़ा चारा घोटाला में 124 आरोपियों के खिलाफ कल फैसला आयेगा। डोरंडा कोषागार से साढ़े 36 करोड़ की अवैध निकासी की गई थी। सीबीआई जांच के बाद करीब 30 साल पहले कांड संख्या RC48A/96 दर्ज किया गया था।
इसमें राजनीतिक आकाओं के अलावा पशु चिकित्सक, ट्रेजरी अफसर और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। मामला पुराना होने की वजह से इनमें से दर्जनों लोगों की उम्र 80 से ज्यादा हो चुकी है, जिन्हें कल कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना है।
इसी चारा घोटाला के मामले में आरजेडी प्रमुख लालू यादव सजा काट रहे हैं, जो फ़िलहाल स्वास्थ्य कारणों से बेल पर बाहर हैं। आरोपियों में 8 ट्रेजरी अफसर, 29 पशु चिकित्सक और 86 आपूर्तिकर्ता समेत 16 महिलाएं शामिल हैं।
बता दें कि बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता व बेल पर बाहर चल रहे लालू यादव की जमानत को रद्द कराने के लिए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दाखिल की गई याचिका के विरोध में लालू यादव द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे पर सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में अगली सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 अक्टूबर 2023 की तिथि तय की गई है। लालू यादव की जमानत रद्द की जाएगी या उन्हें जमानत मिली रहेगी इसपर अब 17 अक्टूबर 2023 को अगली सुनवाई होगी।
यह भी बता दें कि लालू यादव चर्चित चारा घोटाला के 5 मामलों में दोषी पाए गए हैं। डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ 50 लाख रुपये की निकासी से जुड़े मामले में उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद आधी सजा की अवधि पूरी करने के बाद उन्हें झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। लालू पर चाईबासा, देवघर, डोरंडा, दुमका चारा घोटाला में केस दर्ज हैं।
सीबीआई द्वारा लालू की जमानत को चुनौती देते हुए कहा गया है कि लालू को बेल खराब तबीयत और इलाज के लिए मिला था। अब वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसलिए उन्हें सजा पूरी करने के लिए जेल भेजा जाना चाहिए।
वहीं, सीबीआई द्वारा दाखिल की गई याचिका के जवाब में लालू ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और हलफनामे पर आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई है। बता दें कि 18 अगस्त, 2022 को झारखंड हाईकोर्ट ने लालू यादव को चारा घोटाला मामले में जमानत दे दी थी, जिसके खिलाफ सीबाआई ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए याचिका लगाई थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
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