
कुसमुंडा (कोरबा)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने अपनी मांगों को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया। यह 10 घंटे तक चला। इस बीच तीन बार एसईसीएल प्रबंधन ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। हालांकि आंदोलनकारी कार्यालय को घेरकर डटे रहे। इधर महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष किसानों के अनिश्चितकालीन धरना के 648 दिन पूरे हो गए हैं। धरना खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
घेराव से पहले नरईबोध गोलीकांड की 26वीं बरसी इस गोलीकांड में जान गंवाने वाले गोपाल दास एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भूविस्थापितों के लिए उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। संकल्प सभा के बाद 40 गांवों के सैकड़ों किसानों ने रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा से जुड़ी मांगों को लेकर घेराव किया गया।
घेराव को संबोधित करते हुए किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने किसानों और ग्रामीणों की लाशों पर महल खड़ा करने का आरोप एसईसीएल पर लगाया। उन्होंने कहा कि किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भू विस्थापितों के संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है। खम्हरिया के किसान 40 वर्षों से जिस जमीन पर खेती-किसानी कर रहे हैं। उसे एसईसीएल प्रबंधन किसानों से जबरन छीनना चाहता है, जिसका किसान सभा विरोध करता है। उन जमीनों को मूल भूस्वामी किसानों को वापस करने की मांग करता है।
किसान सभा के नेता दीपक साहू ने भूमि के बदले पुनर्वास और स्थाई रोजगार की मांग की। उन्होंने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन कोयला खदानों के अस्तित्व में आने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय नहीं है। इसलिए भूविस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु यादव आदि ने कहा कि भूविस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा। वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।
पिछले दिनों गेवरा कार्यालय के सफल घेराव को देखते हुए इस घेराव को रोकने के लिए कुसमुंडा थाना प्रभारी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था। फिर भी भू विस्थापितों ने कुसमुंडा मुख्यालय को 10 घंटे तक घेरा। उनकी 11 सूत्रीय मांगों पर बिलासपुर सीएमडी द्वारा कोई पहल नहीं किये जाने से भूविस्थापितों में एसईसीएल के प्रति काफी आक्रोश है।