यहां गुदवाया टैटू, तो ITBP में नहीं होगा सेलेक्शन

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चंडीगढ़। दायें बांह पर टैटू होने पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) में सेलेक्शन नहीं होगा। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें आईटीबीपी में कांस्टेबल के लिए एक कैंडिडेट का आवेदन टैटू के चलते खारिज हुआ था।

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस जगमोहन बंसल की अध्यक्षता वाले पैनल ने यह फैसला सुनाया। यह निर्णय विकास कुमार बनाम डायरेक्टर जनरल भारत-तिब्बत (2021) मामले में दिल्ली HC के फैसले पर आधारित था, जहां इसी तरह का मामला सामने आया था।

हाई कोर्ट ने उस मामले को लेकर कहा था कि दायें बांह पर टैटू वाले आवेदकों को प्रतिबंधित करने का विशेष प्रावधान है। इसे देखते हुए याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, अधिकारियों को याचिकाकर्ता के दावे की जांच करने का निर्देश भी नहीं दे सकते हैं।

वहीं, इस मामले में याचिकाकर्ता ने 2017 में प्रकाशित विज्ञापन को देखकर ITBP में कांस्टेबल पद के लिए आवेदन पेश किया। उसने फिजिकल टेस्ट सहित सभी मूल्यांकन दौर पास कर लिए। हालांकि, दायें हाथ पर टैटू के कारण उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया।

भर्ती विज्ञापन के नियमों के अनुसार, बांह के इस हिस्से पर टैटू वालों को बाहर कर दिया गया था। इसे लेकर याचिकाकर्ता मोनू ने हाई कोर्ट से उन 2 मेडिकल अनफिटनेस सर्टिफिकेट को खारिज करने की अपील की, जिनमें उसे आईटीबीपी कांस्टेबल पद के लिए अयोग्य बताया गया था।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि टैटू को सर्जरी के जरिए हटा दिया गया है। टैटू तो इलाज योग्य है। ऐसे में आवेदक को ITBP भर्ती के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए। खासकर जब उसने सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और मानसिक व शारीरिक रूप से फिट है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया गया कि आवेदक किसी बीमारी से पीड़ित नहीं है। इसलिए उसे पद के लाभ से वंचित करना अन्याय होगा। इसके जवाब में कहा गया कि विज्ञापन में पहले ही विशेष तरह की आवश्यकता बताई थी, ऐसे में अधिकारियों को उसका पालन तो करना ही होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, आवेदक की ओर से बाद में टैटू हटाने को भी अनुचित बताया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रतिवादी अधिकारी हर एक मामले की समीक्षा नहीं कर सकते हैं। यह मुश्किल टास्क होगा।

विज्ञापन में पहले ही साफ तौर पर कहा गया कि आवेदक के दायें हाथ पर टैटू नहीं होना चाहिए। इस तरह, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उस अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने इन परिस्थितियों और विकास कुमार मामले में दिल्ली एचसी के फैसले को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी से इनकार कर दिया।

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