कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संसद की स्थायी समिति से दिया इस्तीफा, जानें इस फैसले की वजह

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। बड़ी खबर यह आ रही है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संसद की स्थायी समिति से इस्तीफा दे दिया है। वो पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी व वन एवं जलवायु पर स्थायी समिति के अध्यक्ष थे। इस पद से उन्होंने बुधवार को अचानक इस्तीफा दे दिया।

जयराम रमेश ने इस्तीफे के पीछे जो कारण बताए, उसमें उन्होंने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। जयराम रमेश का कहना है कि सरकार की तरफ से कई महत्वपूर्ण विधेयकों को स्थायी कमेटी के पास नहीं भेजा गया। ऐसे में उन्हें इस पद पर बने रहने में कोई महत्व नजर नहीं आता है।

अपने फैसले के बारे में जानकारी देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार संस्थागत तंत्रों को बेकार कर रही है। सरकार जानबूझकर महत्वपूर्ण विधेयकों को स्थायी कमेटी में नहीं भेज रही है। ऐसे में स्थायी समिति में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।

बता दें कि बीते दिनों जयराम रमेश ने जैविक विविधता संशोधन विधेयक पास करने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। संसद के मौजूदा मानसून सत्र में पिछले हफ्ते तीन विधेयक पारित किए गए। उन्होंने फोरेस्ट (कनजर्वेशन) अमेंडमेंट बिल पास करने पर भी आपत्ति जताई। कहा कि सरकार ने स्थायी कमेटी के पास भेजने के बजाय संसद की ज्वॉइंट कमेटी के पास विधेयक भेजा, जिसके अध्यक्ष एक बीजेपी नेता हैं।

कांग्रेस नेता का आरोप है कि संसद के माध्यम से लाए गए तीन बहुत महत्वपूर्ण विधेयकों को सरकार ने जानबूझकर स्थायी कमेटी को नहीं भेजा। जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए बताया कि ‘ये ऐसे विधेयक हैं, जो जैविक विविधता अधिनियम, 2002 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना के लिए मौलिक संशोधन करते हैं।

साथ ही डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 पर समिति ने कई ठोस सुझावों के साथ एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे वापस ले लिया गया है। मोदी सरकार ने इसके बजाय आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के साथ इसे दरकिनार कर दिया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आगे कहा कि इन परिस्थितियों में मैं इस स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में बने रहने में कोई महत्व नहीं देखता। उन्होंने यह भी कहा कि स्थायी समिति के विषय मेरे दिल के बहुत करीब हैं और मेरी शैक्षिक और व्यावसायिक पृष्ठभूमि में फिट बैठते हैं। लेकिन स्वयंभू, सर्वज्ञानी और विश्वगुरु के इस युग में यह सब अप्रासंगिक है।