सुप्रीम कोर्ट की तुलना वेश्यालय से, CJI चंद्रचूड़ ने कहा-‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता’

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। शुक्रवार (4 अगस्त) को एक वकील ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष उल्लेख किया कि एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है, जिसमें सर्वोच्च अदालत की तुलना एक वेश्यालय से की गई है। इस पर न्यायालय ने कहा कि ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’

एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया। वकील ने कहा, ‘एक बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है। मैंने रजिस्ट्रार का ध्यान प्रसारित हो रहे एक वीडियो की ओर पहले ही आकर्षित किया है, जिसमें सर्वोच्च अदालत की तुलना एक वेश्यालय से की गई है, आपके साथ बैठे न्यायाधीशों को भ्रष्ट कहा गया है।’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘चिंता नहीं करें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’ वकील ने यह भी कहा कि मणिपुर हिंसा मामले में सुनवाई के बाद वीडियो में सर्वोच्च अदालत के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कोई दिक्कत नहीं है। इस बारे में चिंता नही करें।’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार ‘मोदी सरनेम’ केस और ज्ञानवापी परिसर के सर्वे से जुड़े कुछ अहम मामलों की सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी के संबंध में 2019 में दायर आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल करने का रास्ता साफ कर दिया।

एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी।

सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है।