रांची। कोल इंडिया प्रबंधन ने कामगारों को लॉलीपॉप थमा दिया है। प्रबंधन के इस कदम से कामगारों में निराशा है। सभी की निगाहें यूनियन नेताओं की तरफ है। उनका कहना है कि यूनियन के स्तर से इस मामले को प्रबंधन के समक्ष उठाया जाना चाहिए।
जानकारी हो कि प्रबंधन ने कामगारों को अधिकारी वर्ग में प्रोन्नति देने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए 16 संवर्गों में 1764 पदों पर आवेदन ऑनलाइन मंगाये गए हैं। आवेदन जमा करने की प्रक्रिया 4 अगस्त से शुरू हो चुकी है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 2 सितंबर, 2023 है।
कामगारों का कहना है कि प्रबंधन की ओर से प्रमोशन देने की औपचारिकता मात्र निभाई जा रही है। इस बार कामगारों को अधिकारी संवर्ग में प्रमोशन देने के लिए जो अधिसूचना निकाली गई है, उसमें योग्यता इस तरह तय की गई कि कोई कैंडिडेट इसपर खरा नहीं उतरे। इसके बाद इन पदों को ओपेन वैकेंसी से भरा जाएगा।
कामगारों का कहना है कि पर्सनल संवर्ग के लिए योग्यता एमबीए एचआर/पीजी डिप्लोमा इन एचआर नहीं मांगी गई है। इससे पहले हमेशा पर्सनल संवर्ग में निकलने वाली वैकेंसी में इन योग्यता को शामिल किया जाता रहा है। ये योग्यता ओपन वेकेंसी में भी मांगा जाता है। वर्तमान में कई कामगारों के पास एमबीए की डिग्री है। हालांकि वर्तमान वैकेंसी में दी गई योग्यता इसके विपरीत है।
वेलफेयर आफिसर की योग्यता में ग्रेड ए में 3 साल का अनुभव जरूरी कर दिया है। कई अन्य संवर्ग में भी यह अनुभव जरूरी कर दिया गया है। कामगारों का कहना है कि यह न्यासंगत नहीं है। कैडर स्कीम होने के बाद भी प्रबंधन कामगारों को तय समय पर प्रमोशन ही नहीं देता है।
कामगारों का कहना है कि कट ऑफ डेट 30 सितंबर, 2022 है। यह वैकेंसी बैकलॉग है। ऐसे में ये कंडीशन लागू करना उचित नहीं है। प्रबंधन को तत्काल इसपर ध्यान देना चाहिए। इस मामले में हमारी ट्रेड यूनियन को भी ध्यान देना चाहिए। प्रबंधन पर योग्यता तय करने के लिए पुनर्विचार करने का दबाव डालना चाहिए।