जनजातीय संस्कृति का जीवंत केंद्र बिंदु है बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय

झारखंड
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रांची। झारखंड की राजधानी रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय एक ऐतिहासिक स्थल है। यह संग्रहालय, स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायक-नायिका के योगदान की विविधताओं से भरी जनजातीय संस्कृति का जीवंत केंद्र बिंदु है।

इस जेल का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में कैप्टन विलकिंसन ने कराया था। यहां कई आदिवासी क्रांतिकारियों को बंदी बनाया गया। वर्ष 1900 में भगवान बिरसा मुण्डा को उनके उलगुलान विद्रोह के लिए गिरफ्तार कर यहां लाया गया था।

इस जेल के कारागार में भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। उनके बलिदान और आदिवासी समुदायों के संघर्ष की स्मृतियों को दर्शाने के लिए जेल परिसर को संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया।

संग्रहालय में आदिवासियों के जंगलों, भूमि अधिकारों, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष और राष्ट्र निर्माण में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को आकर्षित रूप से दर्शाया गया है।

भगवान बिरसा मुंडा के साथ, संग्रहालय में विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों शहीद बुधू भगत, सिदो-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुण्डा,जात्रा भगत, पोटो हो, भागीरथ मांझी, गंगा नारायण सिंह की मूर्तियां स्थापित की गईं हैं।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर 9 और 10 अगस्त 2023 पर झारखंड आदिवासी महोत्सव-2023 आयोजित किया जाएगा। इसमें भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।