मणिपुर में फिर भड़की हिंसा की आग, उग्रवादियों से मुठभेड़ में सेना का जवान शहीद

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मणिपुर। मणिपुर में 3 मई से कुकी और मेइती समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। यहां 35 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं फिर भी उग्रवादियों पर लगाम नहीं लग पाया है।

इंफाल, चुराचांदपुर, विष्णुपुर जैसे कई इलाकों में कुछ देर के अंतराल पर गोली चलने की आवाज आती रहती है। इस कारण इन क्षेत्रों के आम लोग दहशत में जी रहे हैं। विष्णुपुर में उग्रवादियों ने फिर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें एक जवान की जान चली गई। वहीं दोनों समुदाय के बीच हुई फायरिंग में 4 लोगों के घायल होने की खबर सामने आ रही है।


मणिपुर में स्थिति सुधर ही रही थी कि 19 जुलाई की शाम को दो महिलाओं के साथ दरिंदों की भीड़ द्वारा किये जा रहे अत्याचार का वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद स्थिति फिर बिगड़ने लगी है। उसके बाद चुराचांदपुर के तोरबुंग बाजार इलाके में हथियारबंद उग्रवादियों के एक समूह ने कम से कम 10 खाली पड़े मकानों और एक स्कूल में आग लगा दी।

पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों की भीड़ के आगे सैकड़ों की संख्या में महिलाएं चल रही थीं, जिसे देखकर ऐसे लग रहा था कि ये महिलाएं हथियारों से लैस उग्रवादियों के लिए मानव ढाल का काम कर रही थीं।

उसने बताया कि भीड़ द्वारा किए गए हमले में ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और देसी बम फेंके गए। अब लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, उग्रवादियों के सामने केंद्र और बिरेन सरकार पूरी तरह बेबस नजर आ रहे हैं।

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच सेना ने AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट) की मांग की थी। मणिपुर में भारतीय सेना और असम राइफल की टुकड़ियां मौजूद हैं। लेकिन AFSPA ना होने की वजह से सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर संभाल तो रही हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। इसलिए इसकी मांग की जा रही है।

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में 145 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 3500 लोग घायल हैं। हालात पर काबू पाने के लिए मणिपुर में इस समय मुख्यमंत्री के कहने के बाद 3 मई से लेकर अभी तक भारतीय सेना और असम राइफ़ल की कुल मिलाकर 123 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। लेकिन आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) ना होने की वजह से पूरी ताकत के साथ सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर संभाल तो रही हैं, लेकिन कोई कड़ा एक्शन नहीं ले पा रही।

आपको बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।

जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।