कुसमुंडा (छत्तीसगढ़)। एसईसीएल (SECL) के कुसमुंडा मुख्यालय के दोनों गेट पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने मिलकर मंगलवार को ताला जड़ दिया। इस आंदोलन के कारण सैकड़ों कर्मी कार्यालय घुस नहीं पाए। प्रबंधन ने आंदोलन टालने की अपील दोनों संगठनों के नेताओं से की थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। आंदोलनकारी नेताओं ने बिलासपुर से उच्चाधिकारियों को बुलाने की मांग की। इस पर कुसमुंडा प्रबंधन ने असमर्थता व्यक्त कर दी थी। देश में पहली बार एसईसीएल मुख्यालय की 13 घंटों तक तालाबंदी की गई है।
अक्टूबर, 2021 से चल रहा धरना
उल्लेखनीय है कि पिछले 630 दिनों से विस्थापन प्रभावित गांवों के सैकड़ों किसान रोजगार तथा मुआवजा, अधिग्रहित जमीन की वापसी और पुनर्वास गांवों में बुनियादी सुविधाएं देने, महिलाओं को स्वरोजगार से लगाने आदि मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। उनका यह धरना 31 अक्टूबर 2021 से जारी है। इस बीच आंदोलनकारियों कई बार प्रदर्शन, कार्यालय घेराव और खदानबंदी करते हुए जेल गए। बार-बार के आश्वासनों के बावजूद एसईसीएल ग्रामीणों की समस्याओं को सुलझा नहीं पाया है। इससे एसईसीएल के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ते ही जा रहा है।
मांगों के समर्थन में लगाए नारे
किसान सभा द्वारा कुसमुंडा मुख्यालय की तालाबंदी के आंदोलन को ग्रामीणों का जबरदस्त समर्थन मिला। सुबह 7 बजे से ही उन्होंने कार्यालय के दोनों गेटों पर ताले जड़ दिए। शाम 8 बजे तक तालाबंदी जारी थी। इससे कोई भी अधिकारी-कर्मचारी कार्यालय में घुस नहीं पाया। कार्यालय पूरी तरह से बंद रहा। सैकड़ों भूविस्थापितों ने गेट पर धरना दिया। मांगों को दोहराते हुए नारे लगाते रहे। उन्होंने प्रबंधन द्वारा गेट खुलवाने की हर चाल को नाकाम किया।
वार्ता के लिए 29 जुलाई को बुलावा
ग्रामीणों ने कुछ घंटों तक कुसमुंडा खदान और कोयला परिवहन को भी ठप कर दिया। भू-विस्थापितों के आक्रोश और आंदोलन में शामिल महिलाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए पुलिस भी कोई दखल नहीं दे पाई। इस आंदोलन के कारण आज एसईसीएल को करोड़ों रुपयों का नुकसान पहुंचा है। इस आंदोलन के बाद 29 जुलाई को एसईसीएल प्रबंधन ने बिलासपुर में वार्ता के लिए आंदोलनकारियों को आमंत्रित किया है।
संघर्ष को और तेज करेगी
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, सुमेंद्र सिंह ठकराल, मोहन यादव, अमृत बाई, तेरस बाई, आशा, छत बाई, हेम बाई भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु, दीनानाथ, बृजमोहन आदि ने सफल आंदोलन के लिए ग्रामीणों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष को और तेज करेगी। रोजगार, पुनर्वास और भूमि वापसी संबंधी जायज मांगों को एसईसीएल को पूरा करना ही होगा।