नई दिल्ली। UCC देश के लॉ कमीशन ने 14 जून को नोटिफिकेशन जारी कर सामान आचार संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर सुझाव मांगे थे। उनसे जानने की कोशिश की थी कि इस कानून के लागू होने से आपको क्या दिक्कत है। आप इसमें क्या सुधार चाहते हैं।
लॉ कमीशन द्वारा मांगे गए सुझाव में देश के लोगों ने खूब दिलचस्पी दिखाई। गुरुवार तक इस पर 60 लाख से अधिक सुझाव मिल चुके थे। बता दें कि अब तक किसी कानून या मामले पर इतनी बड़ी संख्या में जनता की राय नहीं मिली है। इन सुझावों की छंटनी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) टूल्स का सहारा लिया जाएगा।
जैसे ही पिछले महीने की 14 तारीख को लॉ कमिशन ने अधिसूचना जारी करते हुए देश की जनता से इस मामले में सुझाव मांगा। वैसे ही लोग इस मामले में अपनी राय देने में टूट पड़े। लेकिन बड़ी संख्या में सुझाव मिलने के बाद बड़ी चुनौती जवाबों की छंटनी है। एक समान सुझावों की छंटनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक 90 फीसदी से ज्यादा सुझाव ईमेल से मिलने के कारण चलते आसानी से इसकी छटनी AI टूल्स के जरिए की जा सकेंगी। ईमेल के अलावा मिले लिखित सुझावों की अलग श्रेणियां बनाई जा रही हैं। अंग्रेजी-हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में मिले सुझावों का अनुवाद होगा। बता दें कि यूसीसी पर 2018 में लगभग 76 हजार सुझाव मिले थे।
सरल भाषा में कहें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड एक ऐसा प्रावधान होगा, जिसमें देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होंगे। फिर वह किसी धर्म, जाति या समुदाय या पंथ से क्यों न हो। इसमें शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक सामान कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता को पंथनिरपेक्ष कानून भी कहा जाता है, जो देश के सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है।
इसके जरिए हर प्रकार के धर्म को मानने वालों के लिए सामान कानून का ही पालन करना पड़ेगा। हमारे संविधान में अब तक अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जो UCC लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे। इसमें महिलाओं और पुरुषों को भी समान अधिकार मिलेंगे। बता दें कि मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है, जबकि हिन्दू सिविल कोड के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग आते हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि UCC ऐसा हो जिसमें महिलाओं और पुरुषों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव न रहे। सभी धार्मिक आस्थाओं, मान्यताओं और भावनाओं का आदर बना रहे। संबंध विच्छेद यानी तलाक के मामलों में बच्चों के अधिकार सुनिश्चित रखे जाएं, ताकि उसके भविष्य से खिलवाड़ न हो। कोड अधिकतम स्वीकार्यता वाला हो यानी सब लोगों की मंजूरी इसमें शामिल हो और अंत में संविधान की हर कसौटियों पर खरा हो।
लॉ आयोग को बड़ी संख्या में पीड़िताओं ने अपनी दर्द की कहानी लिखकर भेजी हैं। इनमें एक खास धर्मों की महिलाओं ने बताया है कि तलाक लेने, संपत्ति में हिस्सेदारी और बच्चों की कस्टडी लेने में उन्हें निजी कानूनों की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। UCC पर दूसरे देशों से भी सुझाव आए हैं।
इनमें ज्यादातर कनाडा, ब्रिटेन और खाड़ी देशों से मिले हैं। इन मेरिट पर विचार करेगा। लॉ कमिशन अगले 40-50 दिन में इन पर सुनवाई और निपटारे की प्रक्रिया पूरी करना चाहता है। बता दें कि UCC का मूल ढांचा सुझाव आमंत्रित करने से पहले ही तैयार किया जा चुका है। इनमें ऐसे मानकों को रखा गया है जिन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।