बीएयू कर रहा मूंग की 26 उन्नत किस्मों का परीक्षण

कृषि झारखंड
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  • क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, दारीसाई, चियांकी व दुमका एवं विवि मुख्यालय में होगा परीक्षण

रांची। आईसीएआर की राष्ट्रीय संस्थान ‘भारतीय दलहन अनुसंधान निदेशालय, कानपुर’ ने बीएयू को देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकसित मूंग की 26 उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराये हैं। वर्तमान खरीफ मौसम में सभी उन्नत किस्मों का मल्टीलोकेशनल ट्रायल (एमएलटी) के माध्यम से बीएयू के निदेशालय अनुसंधान अधीन कार्यरत तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम), चियांकी (पलामू), दुमका और विवि मुख्यालय में परीक्षण शुरू किया गया है।

बीएयू के आईसीएआर-एआईसीआरपी खरीफ दलहन परियोजना के अधीन सोमवार को क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम) के शोध फार्म में एमएलटी के तहत मूंग की सभी 26 उन्नत किस्मों को बुआई की गयी। परियोजना अन्वेंषक डॉ सीएस महतो ने बताया कि परीक्षण में बीएयू द्वारा विकसित दो स्थानीय किस्मों आरएमबी 15-1 और आरएमबी 15-8 को भी शामिल किया गया है। अगले दो –तीन दिनों में अन्य शोध फार्म में बोवाई का कार्य पूरा कर लिया जायेगा।

रांची, बोकारो, गुमला, पलामू एवं गढ़वा में मूंग की खेती की जाती है। इसके माध्यम से झारखंड के विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी के अनुकूल एवं उपयुक्त किस्मों के प्रदर्शन का आकलन किया जायेगा। इसमें फसल अवधि, उपज क्षमता, फसल गुणवत्ता, रोग एवं कीट के प्रकोप पर विशेष ध्यान होगा।

फसल प्रदर्शन के आधार पर राज्य की उपयुक्त दो-तीन उन्नत किस्मों की अनुशंसा की जाएगी। वर्तमान खरीफ मौसम में खरीफ दलहन परियोजना के अधीन उरद फसल की 27 किस्मों का विवि मुख्यालय में को-ऑर्डिनेटेड ट्रायल के माध्यम से परीक्षण किया जायेगा।

कुलपति डॉ ओएन सिंह ने बताया कि बदलते मौसम परिवर्तन में बीएयू द्वारा कम अवधि वाली फसलों के अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है। इसमें करीब 65-68 दिनों की अवधि वाली दलहनी फसल मूंग की खेती का राज्य के ऊपरी (टांड़ -1) भूमि में काफी संभावना है। राज्य में प्रचलित वर्षा आधारित खेती, विषम मौसम की परिस्थिति एवं वर्षापात की असमानता को देखते हुए कृषि विविधिकरण पर जोर दिया जाना जरूरी है।