न्यायालय के आदेश के बाद भी मां के अंतिम संस्‍कार में शामिल नहीं हो सका अभियुक्‍त

झारखंड
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प्रशांत अंबष्‍ठ

नई दिल्‍ली। तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के आदेश के बाद भी एक अभियुक्त अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका। यह मामला तेनुघाट ओपी थाना क्षेत्र के सरहचिया पंचायत के तेनुघाट दो नंबर कॉलोनी स्थित का निवासी संदीप मुंडा से जुड़ा है।

तेनुघाट जेल में हैं बंद

बता दें कि संदीप मुंडा एक मामले में पिछले 9 सितंबर, 22 से तेनुघाट जेल में बंद है। उसकी मां दशमी देवी की मृत्‍यु 16 जुलाई की देर रात हो गई। इसके बाद संदीप की बहन कुंती देवी ने वकील के माध्यम से औपबंधिक जमानत की अर्जी कोर्ट में लगाई। इसपर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने संदीप को अपनी मां के अंतिम संस्कार में भाग लेने की इजाजत दे दी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण संदीप मां के अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले सका।

संदीप की बहन ने क्या कहा

संदीप की बहन ने बताया कि उसकी मां की मृत्‍यु 16 जुलाई की देर रात को हो गई। संदीप घर का छोटा बेटा है। मां से बहुत प्यार करता था। इसलिए जब उसे इसकी जानकारी मिली, तब वह मां के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता था। लिहाजा उन्‍होंने संदीप को पंद्रह दिनों के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की प्रार्थना की गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने संदीप को सिर्फ मृत माँ के दाह संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी।

जेल प्रशासन ने कही ये बात

इस संबंध में कुंती देवी ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद भी जेल प्रशासन ने गार्ड नहीं होने की बात कहकर संदीप को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं लेने दिया। जब जेल प्रशासन ने संदीप को नहीं जाने दिया, तब देर रात को ही दशमी देवी का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

जेलर ने क्या कहा

तेनुघाट उप कारा के जेलर नीरज कुमार ने बताया कि न्यायालय से संदीप मुंडा को उसकी मां के अंतिम संस्कार के लिए ले जाने का आदेश मिला था। जेल में पर्याप्त गार्ड नहीं रहने के कारण उसे अंतिम संस्कार में नहीं ले जाया जा सका। इस संबंध में जिले एसपी को भी पत्र लिखकर गार्ड उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन गार्ड उपलब्ध नहीं हो पाया।

सुबह में जब स्थानीय पुलिस बल के साथ ले जाने के लिए तैयार हुआ, तब संदीप ने जाने से मना कर दिया। दरअसल संदीप की बहन का कहना है कि जब रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया, तब सुबह संदीप का आने का कोई मतलब नहीं था। इसलिए आने से मना कर दिया।