पटना। इस समय की बड़ी खबर बिहार की राजधानी पटना से आ रही है। यहां घंटों तक चली विपक्षी दलों की महाबैठक खत्म हो गई है। इसमें शामिल हुए तमाम नेताओं ने अगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने पर मंथन किया। बैठक में विपक्षी दलों की सहमति बनी है और अब अगली मीटिंग 12 जुलाई को शिमला में होगी। इसमें अंतिम फैसला लिया जाना है।
दरअसल, शुक्रवार को पटना में 15 विपक्षी दलों की एकजुटता बैठक हुई। इसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, एमके स्टालिन समेत छह राज्यों के सीएम और अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, महबूबा मुफ्ती समेत 5 राज्यों के पूर्व सीएम शामिल हुए। राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी बैठक में मौजूद रहे। बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव और पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई।
बैठक के बाद सभी नेताओं ने साझा प्रेस कांफ्रेंस भी की। इसमें सभी नेताओं ने कहा कि अगामी लोकसभा चुनाव में एकजुटता पर सहमति बनी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि सभी ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
अगले महीने होने वाली अगली बैठक इसे अंतिम रूप देगी।
दूसरी बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा होगी। एक साथ चलने की सहमति हुई है। अगली बैठक में तय होगा कि कौन कहां लड़ेगा। जो शासन में है वे देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। वे सब इतिहास बदल रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम 12 जुलाई को शिमला में फिर से मिल रहे हैं, जिसमें हम एक सामान्य एजेंडा तैयार करेंगे। हमें हर राज्य में अलग-अलग तरह से काम करना पड़ेगा।
वहीं राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और RSS हिंदुस्तान की नींव पर आक्रमण कर रही है। यह विचारधारा की लड़ाई है और हम साथ खड़े हैं। हमने निर्णय लिया है कि हम एक साथ काम करेंगे और अपनी सामान्य विचारधारा की रक्षा करेंगे। यह विपक्षी एकता की प्रक्रिया है, जो आगे बढ़ेगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी ने कहा कि इस बैठक में सीएम और पूर्व सीएम शामिल हुए। यह एक अच्छी बैठक रही। हम बहुत लंबे समय के बाद लालू जी को राजनीतिक क्षेत्र में देख रहे हैं। शरद पवार, अखिलेश, राहुल जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ अन्य लोग भी यहां हैं।
पटना में जो कुछ भी शुरू होता है, वह जन आंदोलन के रूप में उभरता है। हमने दिल्ली में कई बैठकें कीं, लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला। इसीलिए मैंने कहा कि शुरुआत पटना से करो। तीन चीजें सुलझा ली गई हैं। हम एकजुट हैं, हम एकजुट होकर लड़ेंगे और हमारी लड़ाई को विपक्ष की लड़ाई नहीं कहा जाना चाहिए, बल्कि भाजपा की तानाशाही और उनके काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई कहा जाना चाहिए।
पटना में हुई इस महाबैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए। इन नेताओं के नाम नीतीश कुमार (जेडीयू), ममता बनर्जी (एआईटीसी), एमके स्टालिन (डीएमके), मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), राहुल गांधी (कांग्रेस), अरविंद केजरीवाल (आप), हेमंत सोरेन (झामुमो), उद्धव ठाकरे (एसएस-यूबीटी), शरद पवार (एनसीपी), लालू प्रसाद यादव (राजद), भगवंत मान (आप), अखिलेश यादव (सपा), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), मनोज झा (राजद), फिरहाद हकीम (एआईटीसी), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), राघव चड्ढा (आप), संजय सिंह (आप), संजय राऊत (एसएस-यूबीटी), ललन सिंह (जेडीयू),संजय झा (राजद), सीताराम येचुरी (सीपीआईएम), उमर अब्दुल्ला (नेकां), टीआर बालू (डीएमके), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), दीपंकर भट्टाचार्य (सीपीआईएमएल)तेजस्वी यादव (राजद), अभिषेक बनर्जी (एआईटीसी), डेरेक ओ’ब्रायन (एआईटीसी), आदित्य ठाकरे (एसएस-यूबीटी) और डी राजा (सीपीआई) हैं।