
- बीएयू में 43वीं खरीफ अनुसंधान परिषद् की बैठक
रांची। झारखंड प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। पूरे देश में झारखंड की सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) दर काफी अनुठी है। वर्तमान में राज्य की जीडीपी 6.4 प्रतिशत है। इसे 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। राज्य की समग्र विकास दर को बढ़ावा देने में संतुलित घरेलु उत्पाद विकास दर पर ध्यान और समय निर्धारित कर विशेष प्रयास करने होंगे। राज्य में कृषि क्षेत्र को विशेष बढ़ावा देकर ही राज्य की कुल जीडीपी में बढ़ोतरी की जा सकती है। इस दिशा में राज्य में नीली (मत्स्य) क्षेत्र में विकास की तरह बागवानी, पशुपालन, वानिकी एवं अन्य लाभकारी कृषि पर जोर देना होगा। उक्त विचार बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 43वीं खरीफ अनुसंधान परिषद् की बैठक के उद्घाटन सत्र में असम एग्रीकल्चरल कमीशन के अध्यक्ष डॉ एचएस गुप्ता ने रखें। डॉ गुप्ता बौरलोग इंस्टिट्यूट फॉर साउथ एशिया के महानिदेशक एवं आईएआरआई, नई दिल्ली के पूर्व राष्ट्रीय निदेशक भी रहे हैं।
वैज्ञानिक एकांकी शोध कार्य से बचें
डॉ गुप्ता ने कहा कि राज्य के किसान हित में कृषि वैज्ञानिकों को ज्यादा से ज्यादा बेहतर प्रयास करने होंगे। कृषि वैज्ञानिक एक-दूसरे से शोध एवं प्रसार कार्यों को साझा करें। एकांकी शोध कार्य से बचें। बीएयू को राज्य में कार्यरत आईसीएआर, आईएआरआई एवं आईआईएबी जैसे केन्द्रीय संस्थानों से आपसी भागीदारी एवं समन्वय को सशक्त करने के दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने फसल किस्मों के विकास में क्वालिटी प्रोटीन एवं बायोफोर्टीफाइड को शामिल करने पर जोर दिया। राज्य में अधिकतर धान की पैदावार को देखते हुए आधुनिक राइस मिल में राइस ब्रान खाद्य तेल के उत्पादन की दिशा में रोड मैप तैयार करने की बात कहीं।
पशुपालन क्षेत्र का विशेष महत्व
मौके पर पटना स्थित बिहार पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (बीसा) के निदेशक अनुसंधान सह पशुपालन विशेषज्ञ डॉ वीके सक्सेना ने कहा कि राज्य के लाभकारी कृषि में पशुपालन क्षेत्र का विशेष महत्व है। पशुपालन क्षेत्र के विकास में अनेकों कार्य एवं पहल हुए हैं। इसके बावजूद पशुपालन विज्ञान में पशु प्रबंधन में मौसम परिवर्तन एवं क्वालिटी आहार सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। शोध कार्यो में इस ओर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
विकास में कृषि विवि की भूमिका
परिषद् के अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि राज्य के विकास में कृषि विवि की शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों का विशेष महत्व है। इसे बढ़ावा देने में बीएयू को राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। राज्य में दस वर्षों से फसल किस्मों का विकास रुका हुआ था। पिछले दो वर्षो में बीएयू वैज्ञानिकों को प्रदेश के उपयुक्त दर्जनों उन्नत किस्मों को विकसित करने में सफलता मिली है। परिषद् की इस बैठक में भी दस उन्नत किस्मों का प्रस्ताव तैयार है। राज्य में बीएयू द्वारा विकसित फसल किस्मों को पहचान दिलाने में कृषि सचिव अबु बकर सिद्दीख पी की अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने आगामी खरीफ मौसम के शोध गतिविधियों में कृषि वैज्ञानिकों को राज्य एवं किसान हित में विशेष योगदान देने की बात कही।
किसानों को किया गया सम्मानित
इस अवसर पर अतिथियों ने निदेशालय अनुसंधान द्वारा प्रकाशित ‘खरीफ रिसर्च प्रोग्रेस एंड हाइलाइट्स-2022’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। फल में उत्कृष्ट कार्य के लिए पलामू के किसान ध्रुव कुमार सिंह और धान की उन्नत खेती के लिए गुमला के किसान शैलेन्द्र कुमार भगत को सम्मानित किया गया।

अनुसंधान बिना प्रसार अधूरा
मौके पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने अनुसंधान के बिना प्रसार कार्य को अधूरा बताया। उन्होंने स्थानीय किसान के हित में अधिकाधिक कृषि तकनीकी के विकास से प्रसार कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की बात कहीं। उपनिदेशक अनुसंधान डॉ सीएस महतो ने 42वीं खरीफ अनुसंधान परिषद् की बैठक की कारवाई प्रतिवेदन परिषद् के समक्ष रखा।
85 शोध परियोजना का संचालन
निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने बताया कि निदेशालय अनुसंधान के माध्यम से बीएयू अधीनस्थ विभिन्न यूनिट्स में 85 शोध परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके अधीन आईसीएआर-एआईसीआरपी के अधीन 32, स्टेट प्लान के अधीन 24, जीओआई की 7 और आरकेवीआई के अधीन 5 परियोजनाएं चल रही है। पिछले खरीफ मौसम के शोध गतिविधियों में ऊपराऊ भूमि में फसल विविधिकरण, सूखा सहिष्णु फसल किस्मों का विकास, समेकित कृषि प्रणाली मॉडल का विकास और सफल फसल प्रबंधन के संपूर्ण प्रयास किये गये। बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग एवं स्थानीय पशु नस्ल सुधार के साथ-साथ चारा फसल विकास को बढ़ावा दिया गया। वानिकी के दो उत्पादों को पेटेंट मिला। देश का पहला गिलोय प्रसंस्करण एवं शोध केंद्र को स्थापित किया गया है।
शोध कार्यक्रमों पर चर्चा
इस दो दिनी बैठक में 5 तकनीकी सत्रों के माध्यम से कृषि, वानिकी, पशुपालन, जैव प्रौद्योगिकी एवं क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों की खरीफ-2022 की उपलब्धियों एवं खरीफ-2023 के शोध कार्यक्रमों पर चर्चा होगी। कार्यक्रम का संचालन रेडियो हरियाली समन्यवयक शशि सिंह और धन्यवाद डॉ सीएस महतो ने किया।
बैठक में ये भी मौजूद
मौके पर हार्प, पलांडू के डॉ एके सिंह, आईआईएबी, गरखटंगा के डॉ सुजा रचित, हजारीबाग से डॉ एमपी मंडल के अलावा डॉ आरपी सिंह ‘रतन’, डॉ एमएस यादव, डॉ ए वदूद, डॉ महादेव महतो, डॉ सोहन राम, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता, डॉ एन कुदादा, डॉ एके सिंह सहित विवि के तीनों संकायों, तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों तथा सोलह कृषि विज्ञान केन्द्रों वैज्ञानिक भी मौजूद थे।