आज भी 1 रुपये की बहुत कीमत है हुजूर, यकीन न हो तो पूछ लें इस बिटिया से

मध्य प्रदेश देश
Spread the love

मध्य प्रदेश। लोग कहते हैं कि आज 1 रुपये की कीमत कुछ भी नहीं है। हालांकि इसकी कीमत बहुत है। यकीन नहीं हो तो मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले की इस बिटिया से पूछ लें। महज 1 रुपये के लिए इस बिटिया को बहुत कुछ करना पड़ता है। इस पैसे के लिए उसके संघर्ष को जानकार हर किसी की आंखें नम हो जाएंगी।

बता दें कि 12 साल की एक मासूम बच्ची अपना और परिवार का पेट पालने के लिए 20 घरों की गली, नाली और टॉयलेट की सफाई कर रही है। मामला अशोकनगर जिले के बहादुरपुर कस्बे का है।

यह मासूम पिछले छह महीने से रोज अपनी आठ साल की बहन के साथ 20 घरों के सामने गली में झाडू लगाने का काम करती है। बदले में उसे मजदूरी के रूप में 1 रुपया या फिर रोटी मिलती है। बच्ची नाली भी साफ करती है। वहीं कई घरों के टॉयलेट की सफाई कर रही है। कभी-कभी बच्ची की बुआ भी सफाई करने आती है।

बच्ची ने बताया कि कस्बे में सफाई व्यवस्था नहीं है। इससे पहले पंचायत के पास केवल दो सफाई कर्मी थे। करीब 8 माह पहले संख्या बढ़ाकर 7 कर दी गई। पहले उन्हें 1200 महीने वेतन दिया जाता था, लेकिन अब 2 हजार प्रति कर्मचारी वेतन कर दिया गया है। 2000 रुपए में परिवार का पालन पोषण सफाई कर्मचारी नहीं कर पाते हैं।

जानकारी के मुताबिक पहले यह काम बच्‍ची की दादी, मां और चाची करती थी। करीब 6 माह पहले उसके पिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दादी की तबीयत खराब होने के कारण वह बिस्तर पर हैं।

वहां ऐसी प्रथा है कि पति की मौत के बाद पत्नी सवा साल तक घर के बाहर नहीं जाती है। इसलिए मां के हिस्से का काम पढ़ने-लिखने की उम्र में मासूम बच्ची कर रही है।

12 साल की बालिका अपने माता-पिता की दूसरी संतान है। उसका 15 साल का एक बड़ा भाई भी है। बड़ा भाई दुकानों के सामने झाड़ू लगाता है। जिसे महीने में दुकान से 30 रुपए से लेकर 50 रुपए तक मिलते हैं। पहले यह काम उसका पिता करता था।

बच्ची ने बताया कि उसे ये भी नहीं पता है कि उसकी सही उम्र क्या है। उसने बताया कि वो इस साल सातंवी क्लास में जाएगी। बच्ची का कहना है कि परिवार पालने के लिए कोई भी काम करने को तैयार है। उसके फैमिली मेंबर भी तो यही काम करते थे।