झारखंड में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देगा बीएयू

कृषि झारखंड
Spread the love

रांची। वैश्विक स्तर पर भारत सहित सभी देशों में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष – 2023 मनाया जा रहा है। बीएयू कुलपति की पहल पर चालू गर्मियों में मिलेट्स (मोटे अनाजों) फसल के शोध में वैज्ञानिकों को मिलेट्स फसलों सफल प्रदर्शन से प्रदेश में मिलेट्स फसल की बढ़ावा मिलने की संभावना है। झारखंड के कृषि निदेशालय द्वारा 17 मई को राज्य स्तरीय खरीफ कर्मशाला- सह- मिलेट्स मिशन कार्यक्रम में पूरे राज्य में मिलेट्स सबंधी रोड मैप की रणनीति तय किये जाने की संभावना है।

बीएयू कुलपति की अध्यक्षता में 20 एवं 21 मई को होने वाली खरीफ शोध परिषद् की बैठक और आगामी प्रसार परिषद् की बैठक में पूरे राज्य के लिए विशेष शोध एवं प्रसार  कार्यक्रम की रणनीति तय की जाएगी। हाल में हुई बीज परिषद् की बैठक में बीएयू अधीनस्थ बीज उत्पादन यूनिट्स में मिलेट्स फसलों के गुणवत्तायुक्त प्रजनक बीज, आधार बीज एवं प्रमाणित बीज का अधिकाधिक उत्पादन की रणनीति तय की गयी है। विश्वविद्यालय द्वारा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन, केवीके के माध्यम से व्यापक जागरुकता अभियान एवं प्रत्यक्षणों के माध्यम से राज्य में मिलेट्स फसलों की खेती को बढ़ावा देने की योजना है।

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह बताते है कि राज्य में प्राचीनकाल से मिलेट्स खेती होती आ रही है। हरित क्रांति की दौर में मिलेट्स की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ा। प्रदेश में मिलेट्स में रागी (मडुआ), ज्वार और बाजरा आदि प्रमुख खाद्य फसलें हैं। कमोबेश सभी जिलों में मोटे अनाजों में मडुआ की खेती की जाती है।

कुलपति बताते हैं कि स्थानीय प्रभेदों की परंपरागत खेती की जगह उन्नत किस्मों की वैज्ञानिक खेती से काफी कम लागत में अधिक उपज एवं लाभ लिया जा सकता है। बीएयू अधीन संचालित आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान स्माल मिलेट परियोजना में किसानों के खेतों में कराये गये प्रत्यक्षणों और प्रायोगिक प्रक्षेत्रों में उन्नत किस्मों की उपज क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिली है। वर्षों के अनुसंधान में प्रदेश के अनुकूल अधिक उपज देने वाली 4 उन्नत किस्मों को विकसित करने में बीएयू वैज्ञानिकों को सफलता मिली है।

विवि के सामुदायिक विज्ञान विभाग में प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन से मिलेट्स फसलों के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में गत वर्ष विभिन्न जिलों के कुल 300 ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हुई है। विशेषज्ञों द्वारा मिलेट्स के मूल्यवर्धित दर्जनों उत्पादों को बनाने, पैकेजिंग एवं विपणन की जानकारी दी जाती है। कृषि स्नातक छात्रों को भी मिलेट्स फसलों के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के बारे में बताया जाता है।

राज्य के किसान, विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग, बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों से निःशुल्क तकनीकी जानकारी और निर्धारित दर पर प्रमाणित बीज खरीद सकते है।