Good News : बिरसा कृषि विवि के अधीन हजारीबाग के गोरियाकरमा में खुलेगा KVK

झारखंड
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  • आईसीएआर ने दी प्रशासनिक स्वीकृति

Good News : रांची। बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय को बड़ी सफलता मिली है। विश्‍वविद्यालय के अधीन झारखंड के हजारीबाग जिले के गोरियाकरमा में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) खुलेगा। इसकी मंजूरी नई दिल्‍ली स्थित आईसीएआर ने दे दी है।

हजारीबाग जिले में केवीके की स्थापना को लेकर बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह करीब डेढ़ वर्षो से प्रयासरत थे। उनके प्रयासों से हजारीबाग जिले में आईसीएआर के सौजन्य से बीएयू के नियंत्रण में 17वां कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित होने जा रहा है।

भारत सरकार के उपक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर), नई दिल्ली ने बीएयू को हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड स्थित मोजाकजरा गांव (गोरियाकरमा) में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थापित करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस आशय का आदेश आईसीएआर के अवर सचिव (कृषि विस्तार) के माध्यम से शुक्रवार को बीएयू प्रबंधन को प्राप्त हुआ।

आईसीएआर ने मोजाकजरा गांव (गोरियाकरमा) में 20 हेक्टेयर भूमि के साथ बीएयू के प्रशासनिक नियंत्राधीन एक केवीके की स्थापना की मंजूरी दी है। इस केंद्र को आईसीएआर से शत-प्रतिशत आधार पर वित्तीय सहायता राशि मिलेगी। इस केंद्र के सभी कार्यों एवं कार्यक्रमों का कार्यान्वयन आईसीएआर- बीएयू के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में उल्लेखित नियम और शर्तों के अधीन होगा।

बीएयू द्वारा सहायता अनुदान,  व्यय-विवरण और लेखापरीक्षा उपयोग प्रमाण-पत्र प्रतिवेदन आदि आईसीएआर/जीएफआर 2017 के विस्तृत नियम और शर्तें के आधार पर किया जाएगा। केंद्र के सभी वैज्ञानिक व कर्मचारियों के वेतनमान का निर्धारण संबंधित राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू)/ अनुदान प्राप्त करने वाली संस्था द्वारा किया जाएगा।

वेतन और भत्तों के सबंध में आईसीएआर का दायित्व, कृषि विज्ञान केंद्र के लिए निर्धारित वेतनमान तक सीमित होगा। केंद्र में प्रधान सहित 7 वैज्ञानिकों एवं 9 कर्मचारियों सहित 16 पदों की स्वीकृति मिली है। 

यह केंद्र बीएयू के निदेशालय प्रसार शिक्षा के नियंत्रणाधीन होगा। निदेशक, आईसीएआर- कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पटना के परामर्श से वेतनमान, अनुशासन/योग्यता के संबंध में आईसीएआर के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भर्ती प्रक्रिया जल्दी शुरू की जा सकती है।

सभी मामलों में प्रासंगिक दिशा-निर्देश आईसीएआर- अटारी, पटना से प्राप्त की जायेगी। केंद्र के लिए विभिन्न भवनों और प्रदर्शन इकाइयों के प्लिंथ क्षेत्र में प्रारंभिक निर्माण कार्य शुरू करने से पहले भवनों और प्रदर्शन इकाइयों का लेआउट, योजना और अनुमानित लागत के लिए आईसीएआर का अनुमोदन लिया जायेगा।

बता दें कि जिले में केवीके की स्थापना के लिए आईसीएआर ने जनवरी, 2023 में स्थल चयन एवं शासित संस्था के चुनाव के लिए आईसीएआर के पूर्व उपमहानिदेशक (एनआरएम) डॉ एके सिंह, एवं पूर्व कुलपति, आरवीएसकेविवि, ग्वालियर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय साईट सलेक्शन कमेटी गठित की थी।

इस कमेटी में डॉ जगरनाथ उरांव (निदेशक प्रसार शिक्षा, बीएयू), राजीव कुमार मिश्रा (जिला कृषि पदाधिकारी, हजारीबाग), डॉ आरके सोहाने (निदेशक प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर), डॉ अभिजीत कार (निदेशक, आईआईएनआरजी, रांची) सदस्य के रूप में एवं सदस्य सचिव के रूप में डॉ अंजनी कुमार (निदेशक, आईसीएआर-अटारी, पटना) शामिल थे। कमेटी की अनुशंसा पर ही आईसीएआर ने बीएयू को नये केवीके केंद्र की स्थापना की मंजूरी दी है।

बीएयू के प्रशासनिक नियंत्रण में राज्य के सोलह जिलों यथा लोहरदगा, सिमडेगा, लातेहार, पलामू, गढ़वा, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, जामताडा, दुमका, पाकुड़ एवं साहेबगंज में केवीके केंद्र पहले से कार्यरत है।

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बीएयू के नियंत्राधीन 17वें कृषि विज्ञान केंद्र खोलने की अनुमति के लिए आईसीएआर महानिदेशक सहित संस्थान के उपमहानिदेशक एवं अन्य का आभार जताया है। उन्होंने हजारीबाग जिले में केवीके की स्थापना को प्रदेश एवं किसानों को आईसीएआर का एक अनुपम भेंट एवं जिले में कृषि शोध एवं प्रसार से कृषि विकास को गति देने में मददगार तथा किसानों के लिए वरदान बताया है।

कुलपति ने कहा कि राज्य में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना से सभी जिलों में स्थानीय उपयुक्त तकनीकी को बढ़ावा एवं कृषि विकास को गति मिली है। केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में अभिनव तकनीकी और केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न किसानोपयोगी कार्यक्रमों को बल मिला है।

हजारीबाग जिले में इस केंद्र की स्थापना से किसानों को जिले में खेती के लिए अनुकूल जलवायु की जानकारी, मिट्टी एवं पानी की जांच की सुविधा, किसानों की समस्याओं का समाधान उनके खेतों पर ही करने की सुविधा, स्वरोजगार के लिए मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी और मछली पालन का प्रशिक्षण, महिलाओं को सशक्त करने के लिए गृह विज्ञान से संबंधित प्रशिक्षण, किसान मेला,  गोष्ठी,  सेमिनार,  कृषि प्रदर्शनी, आदि द्वारा किसानों को कृषि विज्ञान की नवीनतम तकनीक की जानकारी देने की सुविधा मिलेगी।