किसानों की पसंद बनी BAU की विकसित धान की किस्म ‘बिरसा विकास सुगंधा-1’

झारखंड कृषि
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रांची। बीएयू (BAU) की विकसित धान की किस्म ‘बिरसा विकास सुगंधा-1’ किसानों की पसंद बन गई है। उक्‍त विचार झारखंड के रांची, खूंटी एवं गुमला जिले के 12 गांवों के किसानों ने व्‍यक्‍त किए। प्रदेश में सुगंधित धान की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीफ-2022 में इन जिलों के 50 जनजातीय किसानों के खेतों में इस किस्‍म का अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) किया गया है।

गुमला जिले के सिसई प्रखंड स्थित रामकुलंककीरी गांव के 58 वर्षीय मैट्रिक पास किसान शैलेन्द्र कुमार भगत ने कहा कि करीब डेढ़ एकड़ भूमि में धान की खेती करते हैं। परंपरागत धान की खेती से मुश्किल से पारिवारिक गुजारा होता था। बीएयू वैज्ञानिकों की सलाह पर धान की उन्नत किस्म बिरसा विकास सुगंधा-1 की खेती कर रहे हैं। उन्हें 30 किलो बीज मिला था। उन्होंने इसका बिचड़ा तैयार कर खेत में रोपाई की। वैज्ञानिकों के सुझावों का पालन किया। पूंजी अभाव में खाद एवं उर्वरक की आधी अनुशंसित मात्रा ही खेत में डाला। रोपाई पंक्ति में करने से खेत में खर-पतवार निकासी में काफी सुविधा हुई। उन्हें एक एकड़ (मध्यम भूमि) में करीब 15 क्विंटल उपज प्राप्त हुआ।

वे बताते हैं कि संकर धान किस्म की खेती में काफी खर्च लागत करने के बाद ही लाभ होता है, इस किस्‍म की खेती से उन्हें कम खर्च में ही अधिक उपज प्राप्त हुआ। वर्तमान में अन्य धान किस्मों का स्थानीय बाजार मूल्य 16-18 रुपए प्रति किलो है, जबकि धान की यह किस्म आसानी से स्थानीय बाजार में 30-32 रुपए प्रति किलो बिक जाता है। चावल दाने को बेचने पर स्थानीय बाजार में हाथों-हाथ 50-55 रुपए प्रति किलो बिक जाता है।

रांची जिले के सोनाहातु प्रखंड की हंसडीहा पंचायत के सितुमडीह गांव के 61 वर्षीय किसान आशुतोष सिंह मुंडा बताते है कि करीब 15 एकड़ भूमि में धान की खेती करते हैं। बीएयू वैज्ञानिकों की सलाह पर 2 एकड़ (मध्यम भूमि) में बीवीएस-1 धान किस्म की खेती शुरू की। उन्हें औसतन प्रति एकड़ करीब 16 क्विंटल उपज प्राप्त हुआ। अन्य किस्मों की अपेक्षा इसका धान या चावल स्थानीय बाजार में आसानी से करीब दोगुनी दर पर बिक जाती है। वैज्ञानिक प्रबंधन से धान की खेती से उन्हें अच्छी उपज एवं लाभ मिल रहा है। पड़ोस के गांव के कुछ किसान भी इस किस्म की खेती से बढ़िया लाभ ले रहे है।

बताते चले कि हाल में बीएयू में आयोजित प्रशिक्षण-सह-उपादान वितरण कार्यक्रम के दौरान खरीफ-2022 में एफएलडी से जुड़े किसानों ने अपने अनुभव एवं विचारों को वैज्ञानिकों के साथ साझा की थी। मध्यम भूमि उपयुक्त 125 दिनों की अवधि वाली इस धान किस्म की सुगंध बासमती के समान होने की वजह से किसानों ने इस किस्म को काफी पसंद किया है।