झारखंड में कल से खाद्यान्न का व्यापार अनिश्चितकाल के लिए बंद

झारखंड बिज़नेस
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  • चैंबर अध्‍यक्ष ने कहा, बंद करना विवशता, जनता माफ करे

रांची। झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 के विरोध में 15 फरवरी ‘23 से राज्‍य में खाद्य वस्तुओं की आवक-जावक और कृषि संबंधी थोक व्यवसाय अनिश्चितकालीन के लिए बंद रहेंगा। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के आहवान पर राइस मिल्स, फ्लॉवर मिल्स सहित अन्य खाद्य संबंधी उत्‍पादक भी अपने प्लांट से सेल बंद रखेंगे। जनविरोधी कानून के विरोध में जारी इस आंदोलन में फल एवं सब्जी के थोक विक्रेता भी शामिल हैं। उक्‍त जानकारी 14 फरवरी को झारखंड चैंबर अध्‍यक्ष किशोर मंत्री ने प्रेस को दी।

चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि इस निर्णय से राज्य में खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता प्रभावित होगी। इससे निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को कठिनाई भी अवश्य होगी। हालांकि इस विधेयक के प्रभावी होने से राज्य में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मूल्यवृद्धि के साथ ही इंस्पेक्टर राज को प्रोत्साहन मिलने की प्रबल आशंका को देखते और उपभोक्ताओं को महंगाई से बचाने के लिए यह निर्णय लेना हमारी विवशता है। जनहित से जुड़े इस आंदोलन में आम जनता का सहयोग अपेक्षित है। राजभवन से कुछ शर्तों के साथ इस विधेयक को मंजूरी दी गई है, किंतु कृषि मंत्री द्वारा अब तक वार्ता की पहल नहीं की गई है।

पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी ने कहा कि झारखंड कृषि प्रधान राज्य नहीं है। यह शुल्क झारखंड के उपभोक्ताओं को महंगाई से जूझने के लिए विवश करेगा। अभी भी समय है। सरकार चेते और इस कानून को निरस्त करने की घोषणा करे।

चैंबर महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन ने कहा कि विधेयक को वापस लेने के लिए चैंबर ने शांति तरीके से हर रास्ते को अपनाया, किंतु हमें सफलता नहीं मिली। इस शुल्क के प्रभावी होने से खाने-पीने की चीजें तुरंत महंगी हो जायेंगी। इससे किसी को भी फायदा नहीं होनेवाला है। कृषि प्रधान राज्य होते हुए भी इस शुल्क को बिहार और उत्तर प्रदेश में हटा दिया गया है। झारखंड सरकार को इसके कारणों की समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर क्यों उन राज्यों में इसे हटा दिया गया। सरकार को व्यापारियों की बात सुननी चाहिए, क्योंकि इससे एक रिक्शा चालक भी परेशान होगा।

सह सचिव रोहित पोद्दार ने कहा कि यह सुविधा शुल्क है, जिसपर बाजार समिति द्वारा कोई सुविधा दी ही नहीं जाती है। सिर्फ उपभोक्ता प्रभावित होंगे, क्योंकि व्यापारी इस टैक्स का भुगतान उपभोक्ता से वसूलकर ही करेंगे। विधेयक में अधिकारियों को संरक्षण दिया गया है, जिससे उनकी मनमानी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।

सह सचिव शैलेश अग्रवाल ने कहा कि हम व्यापारी हैं, हमें व्यापार करने दिया जाय। विधेयक उपभोक्ता विरोधी है जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जायेगा। इस शुल्क की आड़ में होनेवाली अनियमितता पर नियंत्रण के लिए हमें विवश होकर अपना व्यापार बंद करना पड़ रहा है।

रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि पंडरा बाजार और अपर बाजार में कल से सभी खाद्यान्न दुकानें, वन उपज, आलू प्याज मंडी बंद रहेंगी। मंडी में गाडियों की अनलोडिंग भी बंद रहेगी। बंद के कारण निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को होनेवाली परेशानी के लिए पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी।

डेली मार्केट दुकानदार संघ के पदाधिकारी हाजी जावेद ने कहा कि एक अनावश्यक कानून थोपकर व्यापारी और किसानों को परेशान किया जा रहा है। इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। भार आम जनता पर पड़ेगा। बुधवार से डेली मार्केट और हरमू मार्केट की फल मंडी बंद रहेंगी।

मौके पर चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष अमित शर्मा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनिल केडिया, पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, रांची चैंबर के अध्यक्ष संजय माहुरी, आलू-प्याज थोक विक्रेता संघ, वनउपज व्यवसायी संघ के अलावा डेली मार्केट, हरमू मार्केट दुकानदार संघ के पदधारी उपस्थित थे।