
नई दिल्ली। खरमास खत्म होते ही शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो जाता है। उत्तर भारत में एक आम चलन है। दूल्हा नोट की माला पहन कर घोड़ी पर चढ़ता है। क्या आपको पता है कि करेंसी नोट की माला बनाना रिजर्व बैंक के नियमों के खिलाफ है?
उत्तर भारत में बात करें, तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में यह रिवाज खूब लोकप्रिय है। कहीं सिर्फ दूल्हे नोट की माला पहनते हैं, तो कहीं दुल्हन को भी नोटों की माला पहनायी जाती है। शादी के परिधान जिस दुकान में मिलते हैं, उसी दुकान में नोटों की माला भी बिकती है।
इस समय 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये के नोटों की माला काफी बिक रहे हैं। अमीर व्यक्ति 100 और 500 रुपये के नोटों से बने माला भी पहन रहे हैं। इस माला में उपयोग हुए नोटों का तो दाम देना ही पड़ता है, माला बनाने की मजदूरी भी चुकानी होती है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करेंसी नोट का माला बनाने से रोकता है। बैंक ने इस बारे में नियम बना रखा है। Banking Regulation Act, 1949 की धारा 35ए में स्पष्ट कहा गया है कि करेंसी नोटों का उपयोग सिर्फ लेन-देन के लिए किया जाना चाहिए। इसको स्टेपल करना, इसकी माला बनाना, या नोट को पंडाल में लगाना आदि मना है।
रिजर्व बैंक ने इस बारे में एक क्लीन नोट पॉलिसी बना रखी है। आरबीआई समय समय पर आम जनता से इस बारे में अपील भी करता रहता है कि माला बनाने के लिए नोटों का उपयोग ना करें। ऐसा करने से नोट की उम्र घट जाती है। रिजर्व बैंक ने नोट की माला बनाने से निषेध तो किया है। लेकिन ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई दंड का प्रावधान नहीं है।
रिजर्व बैंक सिर्फ अपील करके रह जाता है। इसलिए नोट की माला पहनने वालों या उसे बनाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। हालांकि, कोई बैंककर्मी किसी नोट पर स्टेपल करता है, तो ऐसे में कार्रवाई हो जाती है, लेकिन कोई कारोबारी अपने फायदे के लिए ऐसा करता है, तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं नहीं होती है।