नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर काफी दिनों से चला आ रहा विवाद अब खत्म हो गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट को जल्दी ही 5 नए जज मिल जाएंगे। केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत की बेंच को यह जानकारी दी गई है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन नियुक्तियों पर रविवार तक मुहर लग जाएगी। इन 5 जजों में जस्टिस पंकज मित्तल, संजय करोल, पीवी संजय कुमार, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और मनोज मिश्रा शामिल हैं।
इनमें से तीन जज उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश हैं और दो अन्य भी हाई कोर्ट्स में ही जस्टिस हैं। बीते साल 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन जजों के नामों की सिफारिश की थी। पंकज मित्तल राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इसके अलावा संजय करोल पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। वहीं जस्टिस पीवी संजय कुमार भी मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह पटना हाई कोर्ट के जज हैं और मनोज मिश्रा फिलहाल इलाहाबाद हाई के जस्टिस हैं। सरकार की ओर से जल्दी ही इन जजों के नामों को मंजूर किया जा सकता है। इन 5 जजों के शपथ लेने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 32 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पद हैं, जिनमें से अभी 27 पद ही भरे हुए हैं। इससे पहले 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दो और नामों को सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाने की सिफारिश की है। इनमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार शामिल हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। कई बार कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा चुके हैं और इसे गैर-संवैधानिक बता चुके हैं। किरेन रिजिजू ने कहा था कि संविधान में कहीं भी जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की व्यवस्था का जिक्र नहीं है। ऐसे में 5 जजों की नियुक्ति पर सरकार की मुहर लगना अहम है। गुरुवार को भी किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा था कि हम चाहते हैं कि उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता का ख्याल रखा जाए। दलितों, आदिवासियों के अलावा अल्पसंख्यक एवं महिला वर्ग के जजों को भी शामिल किया जाए।