- पशुपालन में ग्रामीण रोजगार के काफी अवसर एवं संभावना : डॉ वीरान्ना
- बीएयू में पशुधन प्रसार नवाचारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
रांची। देश के कृषि क्षेत्र में अप्रत्याशित विकास एवं वृद्धि हुई है। भारतीय ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। नवीनतम एवं अभिनव कृषि तकनीकी के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करना केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों का एक सपना है। इस उद्देश्य को पूरा करने में पशुधन संसाधनों बड़ी भूमिका होगी। उक्त बातें दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कही।
डॉ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पशुधन क्षेत्र के विकास का भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। वर्ष, 1984 में स्थापित वेटनरी कौंसिल ऑफ इंडिया (वीसीआई) के मार्गदर्शिका के अनुरूप शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार कार्यो को सशक्त करने में फोरम का प्रयास सराहनीय है। सम्मेलन के विभिन्न विषयों पर वृहद् चर्चा से प्राप्त अनुशंसाओं से पशुधन विकास को नई गति और वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स, वेटनरी ग्रेजुएट और पशुपालकों को उपयोगी मार्गदर्शन मिलेगा।
मुख्य अतिथि पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (बिदार, कर्णाटक) के कुलपति डॉ केसी वीरान्ना ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में विकास, तकनीकी एवं रणनीति की बड़ी भूमिका है। इस उद्देश्य की पूर्ति में पशुपालन क्षेत्र में काफी क्षमता एवं संभवनाएं हैं। डेयरी, पोल्ट्री, फिशरीज, बेकयार्ड पोल्ट्री, बकरीपालन, सुकरपालन आदि उद्यम से किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस दिशा में देश की विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी एवं बहुतायत छोटे किसान एक बड़ी चुनौती है। वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स को विशेष रणनीति बनाने और प्रयासों की जरूरत है। किसान आधारित, बाजार आधारित एवं पारस्परिक मोड में संयुक्त बेहतर रणनीति और विशेष पहल से एसमे सफलता हासिल की जा सकती है।
विशिष्ट अतिथि नाबार्ड, रांची के मुख्य महाप्रबंधक वीके बिष्ट ने कृषि विशेषकर पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने में नाबार्ड के विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला। कहा कि ग्रामीण कृषि विकास में पशुपालन का करीब 50 प्रतिशत योगदान है। रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। नाबार्ड द्वारा कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को बढ़ावा देने से ग्रामीण कृषि विकास को बल मिला है। देश में करीब 10 हजार और झारखंड में 300 एफपीओ कार्यरत हैं। पशुपालन से जुड़े किसान अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से नाबार्ड के विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकते है।
भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम (आईभीईएफ) के अध्यक्ष डॉ एनके सुदीप कुमार ने कहा कि सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य वीसीआई मार्गदर्शिका के आलोक में वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स को सशक्त तथा वेटनरी सोसाइटी के मांग के अनुरूप कॉमन विषय एवं पाठ्यक्रम का विकास करना है। फोरम द्वारा पाठ्यक्रम अध्ययन की समस्या के निदान में थ्योरी एवं प्रैक्टिकल को अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास, नव नियुक्त वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग और राष्ट्रीय स्तर पर एक अच्छा वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स नेटवर्क स्थापित करना है, ताकि एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स द्वारा छात्रों एवं किसानों को बेहतर परामर्श सेवा दी जा सके।
मौके पर नाहेप परियोजना अन्वेंषक डॉ एमएस मल्लिक ने समेकित कृषि प्रणाली में पशुधन की महत्ता और नाहेप अधीन बकरीपालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली के विकास पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने डॉ केसी वीरान्ना को आईवीईएफ द्वारा प्रदत्त नेशनल फेलो अवार्ड और डॉ एस राम कुमार को फेलो अवार्ड से शाल ओढ़ाकर व मोमेंटो से सम्मानित किया गया।
स्वागत में डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने पशुपालन क्षेत्र में वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स की महत्ता एवं योगदान पर प्रकाश डाला। मंच का संचालन बिरसा हरियाली की समन्यवयक शशि सिंह ने की। धन्यवाद आयोजन सचिव डॉ एके पांडे ने दी।
सम्मेलन का आयोजन बीएयू के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार शिक्षा विभाग, नाहेप-कास्ट परियोजना, नाबार्ड रांची एवं भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम के संयुक्त तत्वावधान किया जा रहा है।
सम्मलेन में तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों के 65 वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स सहित कुल 150 वेटनरी एवं एग्रीकल्चर एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स भाग ले रहे है।
मौके पर डॉ एसके पाल, डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ एके सिंह, डॉ सीएसपी सिंह, डॉ एस ठाकुर, डॉ एके श्रीवास्तव आदि भी मौजूद थे। सम्मेलन के विभिन्न तकनीकी सत्रों में पशुधन प्रसार एवं परामर्श सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय/वैश्विक स्तर पर हो रहे विकास एवं मॉडल्स, सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित प्रसार परामर्श सेवाओं, पशुधन से जुड़ी उद्यमिता/दक्षताओं, इनक्यूबेशन एवं स्टार्टअप की चुनौतियों, पशुधन पर मौसम परिवर्तन का प्रभाव, टिकाऊपन, पशु कल्याण, बीमारी एवं महामारी से उत्पन्न चुनौतियों तथा पशुधन आधारित समेकित कृषि पद्धति में शोध एवं प्रसार परामर्श सेवाओं आदि विषयों पर चर्चा होगी।