इस मामले में गिरफ्तार बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की न्यायिक हिरासत 19 अक्टूबर तक बढ़ी

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कोलकाता। कहते हैं हर किसी को अपने किए की सजा भुगतनी पड़ती है। यह बातें पार्थ चटर्जी पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने पश्चिम बंगाल स्कूली सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की न्यायिक हिरासत बुधवार को 19 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी। इस मामले की जांच सीबीआई कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर कर रही है।

अदालत ने सीबीआई के अनुरोध पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व सचिव अशोक साहा और पूर्व सलाहकार एस.पी.सिन्हा की भी न्यायिक हिरासत 19 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी।

बता दें कि चटर्जी और उनकी कथित करीबी अर्पिता मुखर्जी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 23 जुलाई को गिरफ्तार किया था। ईडी, डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती घोटाले में पैसों की लेनदेन की जांच कर रही है।

जांच के दौरान मुखर्जी के कोलकाता स्थित फ्लैट पर छापेमारी कर 49.80 करोड़ रुपये की नकदी, सोना, गहने और संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए गए थे। ईडी ने आरोप लगाया है कि चटर्जी और मुखर्जी राज्य एसएससी की अनुशंसा पर गैर कानूनी तरीके से सरकार प्रयोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शैक्षणिक पद देने की कथित आपराधिक साजिश में संलिप्त थे और उन्होंने इससे एकत्रित बड़ी राशि का धन शोधन किया।

ईडी ने पीएमएलए अदालत में दाखिल आरोप पत्र में बताया कि उसने नकदी सहित 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। सीबीआई ने 16 सितंबर को पूछताछ के लिए चटर्जी की हिरासत प्राप्त की थी। चटर्जी को अदालत ने 21 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

पूर्व मंत्री ईडी के मामले में भी न्यायिक हिरासत में हैं। चटर्जी की गिरफ्तारी के कुछ समय बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। तृणमूल कांग्रेस ने भी महासचिव सहित सभी पार्टी पदों से उन्हें अवमुक्त कर दिया था। एजेंसियों के मुताबिक जिस वक्त कथित घोटाला हुआ, उस समय चटर्जी राज्य के शिक्षामंत्री थे।