नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। स्थिति ऐसी बनती जा रही है, जिससे 2024 में नीतीश के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।
जी हां ! बिहार में एनडीए की सरकार गिरने के बाद भाजपा एक के बाद एक छोटे राज्यों की जदयू ईकाई को खुद में विलय करा रही है। मणिपुर के बाद बीजेपी ने जदयू को एक और बड़ा झटका दिया है। दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव से जदयू के 12 से अधिक नेता औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं।
जनता दल यूनाइटेड के नेता एवं स्थानीय निकायों में निर्वाचित सदस्य यहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की यह तीसरी इकाई है, जिसके नेता जदयू के भाजपा के साथ अलग होने के बाद भाजपा में शामिल हो गये। इससे पहले, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश इकाइयों के जदयू नेता भाजपा में शामिल हुए थे।
भाजपा महासचिव तरुण चुग ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश से जदयू के 16 नेता रविवार को पार्टी में शामिल हुए। इससे पहले मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में उसके कुछ विधायक थे, जो भाजपा में शामिल हो गये। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
मणिपुर में भाजपा ने जदयू को बड़ा झटका दिया था। पार्टी के 6 में से पांच विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। मणिपुर में भाजपा में शामिल होने वाले जदयू विधायकों में केएच जॉयकिशन, एन सनाते, मोहम्मद अछबउद्दीन, पूर्व पुलिस महानिदेशक ए एम खाउटे और थांगजाम अरुण कुमार शामिल थे।
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में 7 में से 6 विधायकों को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। बाद में जदयू के इकलौते विधायक ने भी पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। ऐसे में कुछ दिनों के अंदर में नीतीश कुमार को तीन बार सियासी झटका दे दिया गया है, जिससे जदयू में भाजपा को लेकर काफी नाराजगी है।