घर से निकला था अस्पताल के लिए, फंसा जाम में, पहुंचने पर डाॅक्टर ने कह दी ये बात

झारखंड
Spread the love

देवघर। झारखंड के हर शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। आये दिन लगने वाले इस जाम में फंसकर गंभीर रूप से घायल या बीमार अपनी जान गंवा देते हैं।

ताजा मामला देवघर का है। झरना चौक से लेकर झौंसागढ़ी हनुमान मंदिर तक लगे जाम में एंबुलेंस के फंस जाने से छह दिन के नवजात की मौत हो गयी।

पिता ने जाम के कारण नवजात की मौत होने का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि सदर अस्पताल जा रही एंबुलेंस दिन के करीब 11.40 बजे से 40 मिनट तक आरएल सर्राफ स्कूल से झरना चौक तक फंसी रही।

इस दौरान बच्चा एंबुलेंस में ही तड़पता रहा। धीरे-धीरे एंबुलेंस आगे बढ़ती गयी। झरना चौक से सदर अस्पताल तक सवा किलोमीटर की दूरी तय करने में एंबुलेंस को 40 मिनट का समय लग गया। इसके बाद एंबुलेंस जैसे ही सदर अस्पताल पहुंची, वहां मौजूद डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। नवजात बिहार के चकाई स्थित परांची गांव निवासी मुकेश कुमार आजाद का पुत्र था।

इधर पिता मुकेश कुमार आजाद ने बताया कि बच्चे को वीआइपी चौक के पास स्थित डॉ आरके चौरसिया के अस्पताल से लेकर एंबुलेंस दिन के 11.35 बजे निकली थी। बच्चे की स्थिति खराब थी। बच्चे को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराना था।

पांच मिनट में एंबुलेंस झरना चौक पर पहुंच गयी, पर यहां लंबे समय तक जाम में फंसी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर जाम नहीं रहता और बच्चे काे समय पर इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बच सकती थी। आरोप लगाया कि ट्रैफिक पुलिस ने जाम हटाने का प्रयास किया होता, तो नवजात को एसएनसीयू में भर्ती किया जा सकता था।

मुकेश आजाद ने बताया कि नौ सितंबर को सदर अस्पताल में ही ऑपरेशन से बच्चे का जन्म हुआ था। उसे डाॅक्टर ने एनआइसीयू में भर्ती करने को कहा था। इसके बाद परिजनों ने डॉ प्रेम प्रकाश के क्लिनिक में भर्ती कराया। बाद में बेहतर इलाज के लिए उसे डिस्चार्ज करा कर डॉ आरके चौरसिया के अस्पताल में ले जाया गया। बाद में वहां से सदर अस्पताल में भर्ती कराने ले जा रहे थे।

सदर अस्पताल के डॉ एके दास ने कहा कि बच्चे को मृत अवस्था में लाया गया था। बच्चे को देख कर लगा कि उसकी मौत करीब आधे घंटे के अंदर हुई थी।

वहीं, डॉ प्रेम प्रकाश ने कहा कि समय से पहले बच्चे ने जन्म लिया था। उसे सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। बच्चे की स्थिति उतनी भी गंभीर नहीं थी।