एफएमडी जागरुकता अभियान : रोग नियंत्रण के लिए जागरुकता पर जोर

झारखंड
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  • मैत्री प्रशिक्षाणार्थियों ने मवेशियों के खुरपका-मुंहपका रोग को जाना

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रांची पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में बुधवार को खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) जागरुकता अभियान के अधीन जनसंपर्क कार्यक्रम का आयोजन 14 सितंबर को किया गया। कार्यक्रम में झारखंड के चतरा, बोकारो, धनबाद, देवघर एवं गिरिडीह जिले के 57 मैत्री प्रशिक्षाणार्थियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने किया। मौके पर उन्होंने एफएमडी रोग से होने वाली आर्थिक हानि और इस रोग के नियंत्रण में जागरुकता एवं पशुपालकों की महत्वपूर्ण सहभागिता की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सलाह दी कि सही समय पर टीकाकरण और जैव सुरक्षा के उपायों से इस रोग से होने वाली आर्थिक हानि को काफी कम किया जा सकता है।

अध्यक्ष (पशु रोग विज्ञान) एवं परियोजना अन्वेषक (एफएमडी नेटवर्क केंद्र) डॉ एमके गुप्ता ने एफएमडी रोग के विभिन्न पहलुओं और इस रोग के नियंत्रण एवं सर्वेक्षण कार्यक्रम के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मवेशियों में होने वाला यह एक संक्रामक विषाणु जनित रोग है।

डॉ गुप्‍ता ने बताया कि इसे एफएमडी, खरेडू, चपका, खुरपा आदि नामों से भी जाना जाता है। यह दुधारू गाय एवं भैस में अत्यधिक तेजी से फैलता है। कुछ समय में ही पशुओं के झुंड या अधिकतर पशुओं को संक्रमित कर देता है। इस खतरनाक बीमारी से किसानों या पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि होती है।

सह-परियोजना अन्वेंषक (एफएमडी नेटवर्क केंद्र) डॉ अंसार अहमद ने मवेशियों को एफएमडी रोग हो जाने पर किये जाने वाले उपचार पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इस रोग के लक्षण आरंभ होने के बाद पशु चिकित्सक से तुरंत सलाह लेने पर जोर दिया।

बताते चले कि प्रदेश के 5 जिलों के सभी 57 प्रशिक्षाणार्थी वेटनरी कॉलेज में राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अधीन आयोजित 30 दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के अधीन कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्ल सुधार हेतु दक्ष कार्यकर्त्ता का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।  संचालन एवं धन्यवाद डॉ मनोज कुमार ने किया।

कार्यक्रम में डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ आलोक कुमार पांडे, डॉ मुकेश कुमार आदि ने भी भाग लिया।