वेटनरी डीन बोले : कृत्रिम गर्भाधान में अनुभव एवं सटीकता जरूरी

झारखंड
Spread the love

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अधीन 30 दिनी मैत्री प्रशिक्षण का समापन

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी कॉलेज में राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अधीन तीसरा तीस दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सोमवार को हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि सभी प्रशिक्षानार्थी को ग्रामीण स्तर पर दक्ष कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्त्ता के रूप में कार्य करना है। प्रशिक्षण के बाद सभी प्रशिक्षानार्थी को 60 दिनों तक जिले के आवंटित कृत्रिम गर्भाधान केंद्र में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। प्रदेश में पशु नस्ल सुधार के उद्देश्य से ही ग्रामीण स्तर पर पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देना। इसके लिए सभी प्रतिभागियों को कृत्रिम गर्भाधान में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान व अनुभव और कार्य में सटीकता का होना जरूरी है।

डीन ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के अलावा पशु प्रबंधन तकनीकी का भी जानकारी दी गई है। जो भी सीखी है, इससे गव्य विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करें। अपने ज्ञान को स्थानीय गो-पालक से साझा करे। पशु चिकित्सक के परामर्श से कम खर्च पर आसानी से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करें। इसको आगे बढ़ाये। इस अवसर पर डीन वेटनरी द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं ट्रेनिंग किट प्रदान किया गया। 

प्रशिक्षण समन्यवयक डॉ एके पांडे ने कहा कि इस रोजगारपरक राष्ट्रीय गोकुल मिशन अभियान से प्रशिक्षाणार्थियों तथा स्थानीय पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कार्यक्रम में चतरा, धनबाद, साहेबगंज, गिरिडीह, हजारीबाग, रांची, गढ़वा, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका एवं जामताड़ा के कुल 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को अब सबंधित जिलों में स्थित कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों में दो महीने की ट्रेनिंग मिलेगी। प्रतिभागियों की कार्य दक्षता एवं उपलब्धि पर मानदेय और आमदनी निर्भर होगी।

कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अधीन झारखंड स्टेट इम्प्लीमेंट एजेंसी फॉर कैटल एंड बुफैलो डेवलपमेंट के सौजन्य किया जा रहा है। मंगलवार से चौथा मैत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ होगा, जिसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के करीब 75 ग्रामीण युवक भाग लेंगे।

कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण सहायक डॉ मुकेश कुमार ने किया। मौके पर डॉ रविन्द्र कुमार, डॉ पंकज कुमार एवं डॉ नरेश कुमार भी मौजूद थे।