रांची। खनन पट्टा मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में है। इसपर आज चुनाव आयोग का फैसला आने की उम्मीद है। इस बीच सीएम लगातार अपने विधायक और सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। यूपीए के विधायकों की भी लगातार बैठक हो रही है। पार्टी में भी हेमंत सोरेन के उत्तराधिकारी के चयन पर मंथन हो रहा है। हालांकि उनके चयन पर कुछ शर्तें लागू होगी।
पूर्व मंत्री एवं विधायक सरयू राय के अनुसार चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन द्वारा खनन पट्टा लेने को पद का लाभ लेना माना है। इन्हें अयोग्य ठहराने की अनुशंसा की है। पद का लाभ भ्रष्ट आचरण है या नहीं यह राज्यपाल को देखना है। भ्रष्ट आचरण होने पर 0 से 5 वर्ष तक चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने का प्रावधान है।
सदस्यता रद्द करने के साथ आयोग के अगर हेमंत सोरेन को 5 वर्ष तक की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से वंचित करने पर उनके उत्तराधिकारी के चयन में शर्तें लागू होगी। सिर्फ सदस्यता रद्द करने पर वह इस्तीफा देकर अपने किसी विश्वासी को कमान सौंप देंगे। फिर छह माह के अंतराल में चुनाव लड़कर जीत जाएंगे। फिर सीएम बन जाएंगे। ऐसे भी खाली सीट पर आयोग को छह माह में चुनाव कराना ही है।
हेमंत को चुनाव लड़ने से वंचित करने पर पेंच फंसेगा। जानकारों के मुताबिक किसी गैर विधायक को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने पर उसे छह महीने में चुनाव जीतना ही होगा। चर्चा है कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री की कमान सौंपना चाहते हैं। उन्हें सीएम बनाने और हेमंत सोरेन को चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराये जाने पर कई कानूनी अड़चन हो सकते हैं।
भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दूबे का दावा है कि कल्पना सोरेन झारखंड में आदिवासी सीट से चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं रखती है। इसी पेंच में झारखंड मुक्ति मोर्चा कांके के भाजपा विधायक समरी लाल के खिलाफ शिकायत कर चुकी है। इसकी अनदेखी कर चुनाव जीत जाने पर भाजपा कल्पना के खिलाफ भी मोर्चा खोल देगी। यह अलग पेंच फंसेगा।
दुमका विधायक बसंत सोरेन खुद खनन पट्टा में फंसे हुए हैं। विधायक सीता सोरेन के हाथ कमान सौंपने के मूड में पार्टी नहीं है। अन्य विधायकों पर भी कम भरोसा किया जा रहा है। ऐसे में सारा समीकरण चुनाव आयोग की शर्तों देखने के बाद ही तय होने की संभावना है।