स्‍कूलों में शनिवार की छुट्टी को झारखंड प्रदेश शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने बताया छलावा

झारखंड शिक्षा
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  • शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से दूर रखने की मांग

रांची। झारखंड के सरकारी स्‍कूलों में हर महीने के तीसरे शनिवार को छुट्टी घोषित की गई है। इसका आदेश शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों जारी कर दिया है। हालांकि झारखंड प्रदेश शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने इसे छात्र, शिक्षक एवं राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए छलावा करार दिया।

मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, शैलेंद्र सुमन, मंगलेश्वर उरांव, प्रेम प्रसाद राणा, आशुतोष कुमार, सुधांशु कुमार सिंह ने कहा कि राज्य के विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर सचिव द्वारा मात्र शिक्षण अवधि विस्तार किया जा रहा है। यह शिक्षा के प्रति बड़ा धोखा है।

मोर्चा ने कहा कि आरटीई के मानक के अनुसार शिक्षण घंटे कक्षा 1 से 5 तक के लिए वार्षिक 800 घंटे तय है। इसी तरह कक्षा 6 से 8 के लिए 1000 घंटे है। वर्तमान में झारखंड में 1350 घंटे वार्षिक शिक्षण कार्य कराए जा रहे हैं। इसके बाद भी मात्र शिक्षण अवधि पर जोर दिया जाता है। सरकारी स्कूल के शिक्षकों को हर तरह से शिक्षण कार्य से दूर रखने की साजिश की जाती है। यह उचित नहीं है।

पदधारियों ने कहा कि आरटीई के मानक मानदंडों के विपरीत छात्र शिक्षक अनुपात में भारी अंतर है। शिक्षकों की कमी है। उन्‍हें गैर शक्षणिक कार्य करने के लिए मजबूर कि‍या जाता है। शिक्षा में एनजीओ की अनावश्यक दखलंदाजी है। इसके माध्‍यम से शिक्षा बजट का दुरुपयोग करने के अतिरिक्त अनेकों समस्याओं को जानबूझकर सृजित किया जाता रहा है। यह राज्य की शिक्षा व्यवस्था के प्रतिकूल साबित हो रहा है।

झारखंड प्रदेश शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने सरकार से राज्य के सरकारी विद्यालयों में पूरी तरह से केंद्रीय विद्यालय के अनुरूप समय सारणी लागू करने की मांग की है। वहां की अवकाश तालिका लागू करते हुए शिक्षकों को वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर के अनुरूप विद्यालय में सिर्फ और सिर्फ शिक्षण कार्य करने के लिए स्वतंत्र छोड़ने की वकालत की है।

मोर्चा के मीडिया प्रभारी अरूण कुमार दास ने कहा कि संगठन का प्रतिनिधिमंडल इस मांग को लेकर यथाशीघ्र राज्य के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, एवं जेसीईआरटी के निदेशक से मिलकर ज्ञापन सौंपेगा। बातचीत करेगा।