निजी अस्‍पताल और नर्सिंग होम के दलालों पर चेतावनी का असर नहीं, धंधा है चालू

झारखंड मुख्य समाचार सेहत
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  • सरकारी अस्‍पताल की खामी और बीमारी का भय दिखाकर मरीजों को कर रहे ट्रांसफर

आनंद कुमार सोनी

लोहरदगा। सरकारी अस्‍पतालों के आसपास कुछ सहिया और निजी अस्‍पतालों के दलाल सक्रिय हैं। प्रशासन की चेतावनी का उनपर कोई असर नहीं पड़ा है। वे अस्‍पताल में इलाज करा रहे मरीज और गर्भवती महिलाओं को बीमारी का डर दिखाकर निजी अस्‍पताल और नर्सिंग होम में ट्रांसफर करा रहे हैं। इसकी सूचना जिले के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को मिली है। इसकी जांच की जा रही है। विभाग ने ऐसे लोगों को फिर चेताया है। उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।

सदर अस्‍पताल के उपाधीक्षक बारंबार चेतावनी के बाद भी विभिन्न सूचना तंत्रों से लगातार जानकारी प्राप्त हो रही है कि सदर अस्पताल में इलाजरत मरीज एवं गर्भवती माताओं को कतिपय सहिया एवं निजी क्लिनिक के दलालों द्वारा बीमारी को अनावश्यक गंभीरता और सरकारी अस्पतालों की असमर्थता का भय दिखाकर विभिन्न निजी क्लिनिक एवं नर्सिंग होमों में पलायन कराया जा रहा है। ज्यादातर मरीजों के पास रुपये का अभाव रहने के कारण निजी चिकित्सा संस्थान पैसे ऐंठने के बाद उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं। प्रायः उचित चिकित्सा के अभाव में उनकी मौत हो जाती है। यह अत्यंत दुःखद एवं अशोभनीय आचरण है। चिकित्सा सेवा के मूल भावना के खिलाफ एवं शर्मसार करने वाला कृत्य है।

स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन द्वारा सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है। सभी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्यकर्मी, सहिया, दलाल, वाहन चालक अथवा निजी क्लिनिक के संचालको को अंतिम रूप से चेतावनी दी गई। कहा गया है कि अगर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कोई भी व्यक्ति अथवा संस्थान कदाचार में लिप्त पाये जाते है तो उनके विरुद्ध विधिसंगत धाराओं के अंतर्गत गंभीर कार्रवाई की जाएगी।

उपाधीक्षक ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक, रोग के बारे में सबसे जानकार एवं कुशल लोग होते हैं। अगर सरकारी अस्पतालों द्वारा मरीजों को रेफर किया जाता है तो याद रखें कि एंबुलेंस 108 निःशुल्क है। किसी भी 108 एंबुलेंस द्वारा मरीजों को प्राईवेट अस्पतालो में नहीं ले जाया जा सकता है। सरकारी अस्पताल में बिना रसीद दी गई कोई राशि अथवा शुल्क अवैध है।