रांची। जनशक्ति से जलशक्ति के तहत चल रहे नदी बचाओ अभियान के तहत बनई नदी पर बम्हनी और कोठाटोली गांवों के सीमान पर एक और बोरीबांध बनाया गया। जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और स्थानीय ग्रामसभाओं के माध्यम से चलाए जा रहे इस अभियान के तहत अब तक घाघरा, जामटोली, बांधटोली, गानालोया, गुरमी, मड़गांव, बम्हनी, कोठाटोली, पंचघाघ और घघारी में 14 बोरीबांध बनाए जा चुके हैं। इससे लगभग 12 किलोमीटर दूर तक नदी पूरी तरह सुरक्षित हो गई है।
बोरीबांध बनाए जाने से नदी में पानी छलछला रहा है, जिससे कई गांवों का जलसंकट खत्म हुआ है। मवेशियों को पानी पिलाने, नहाने-धोने समेत इससे सिंचाई करने का काम भी गांवों के लोग कर रहे हैं। गांवों के कुंआ और चापानलों का जलस्तर बढ़ा है। कोड़ाकेल निवासी रिंकू महतो ने कहा कि उनके कुंए का जलस्तर छह फीट उपर आ गया है। दूसरी ओर नदी से अवैध बालू उठाव पर ग्रासभाओं ने रोक लगा दी है।

मंगलवार को बम्हनी गांव की ग्रामसभा में लिए गए निर्णय के अनुसार ग्रामसभा के सदस्यों ने चिलचिलाती धूप के बीच श्रमदान कर महज तीन घंटों में बोरीबांध बना दिया। ग्राम प्रधान बिरसा मुंडा ने कहा कि उनके गांव के सीमान से जहां तक नदी गुजरती है, वह पूरा क्षेत्र दो बोरीबांध बनने से कवर हो गया है। अब उन्हें पानी की समस्या नहीं है।
ग्राम प्रधान ने कहा कि अब वे बिना ग्रासमसभा की अनुमति के बालू का उठाव भी नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मंगलवार को पुरुषों ने बोरीबांध बनाया। महिलाओं ने आम बागीचा में खाना पकाया। बोरीबांध बनने के बाद सारे ग्रामीण बागीचा के छांव में बैठकर सामूहिक रूप से भोजन किया।
बांध निर्माण में श्रमदान करने वालों में ग्राम प्रधान बिरसा मुंडा, नमजन कंडुलना, मसीह मुंडू, राणा ढ़ोढ़राय, सोमा पाहन, पौलुस मुंडू, विपिन पूर्ति, उजियस ढ़ोढ़राय, विजय ढ़ोढ़राय, बिरसा पौलुस मुंडू समेत ग्रामसभा के सभी सदस्य शामिल थे।