वट सावित्री व्रत की तारीख को लेकर नहीं रखे कोई संशय

झारखंड धर्म/अध्यात्म
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लोहरदगा। वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं का व्रत है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्रती का सुहाग यानी पति की उम्र लंबी होती है। वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ रखती है। पंचांग के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 2 दिन पड़ रही है। इसलिए इस बार वट सावित्री व्रत किस दिन रखा जाए, इसमें संशय बन गया है।

पंडित रामाधार पाठक ने बताया कि स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है। महाराष्ट्र में यह व्रत इसी तिथि को रखा जाता है। निर्णयामृत आदि के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाना चाहिए।

इसी मत के अनुसार बंगाल, बिहार,झारखंड, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। चूंकि अमावस्या 29 मई को दोपहर 2.54 बजे से लग रही है। इसकी समाप्ति 30 मई, 2022 को शाम 4.59 बजे तक होगी। ऐसे में यह व्रत उदया तिथि के अनुसार 30 मई को रखा जाएगा।